White मां का संघर्ष
मां हर पल संघर्ष करती,
कभी घर की रसोई में तो
कभी खेत की क्यारी में
मां हर ठोकर को पर कर लेती हैं
उसके हाथों की लकीरों में,
छुपी हैं अनगिनत कहानियां
कुछ अनजानी, कुछ अनसुनी।
धूप में तपकर, खेतों में जूझती,
वो मिट्टी से सींचती है अन्न,
हाथों में दरारें, पांव में छाले,
फिर भी चेहरे पर मुस्कान का चमन।
फिर घर की देहरी पर लौटती,
रसोई में उसकी मेहनत की लौ जलती,
सौंफ-इलायची की खुशबू से महकता घर,
हर कौर में उसके प्यार का असर।
©Writer Mamta Ambedkar
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