स्वार्थी सदा दुखी रहता है लाख टके की बात आदरणीय इस | हिंदी कविता

"स्वार्थी सदा दुखी रहता है लाख टके की बात आदरणीय इस बात में संशय रत्ती भर ना अच्छा इंसान अच्छा ही रहेगा वो चाहे जग से हो जाए अकेला उसके दिल में लगता मेला।। ©कवि होरी लाल "विनीता""

 स्वार्थी सदा दुखी रहता है
लाख टके की बात आदरणीय
इस बात में संशय रत्ती भर ना
अच्छा इंसान अच्छा ही रहेगा
वो चाहे  जग से हो जाए अकेला
उसके दिल में लगता मेला।।

©कवि होरी लाल "विनीता"

स्वार्थी सदा दुखी रहता है लाख टके की बात आदरणीय इस बात में संशय रत्ती भर ना अच्छा इंसान अच्छा ही रहेगा वो चाहे जग से हो जाए अकेला उसके दिल में लगता मेला।। ©कवि होरी लाल "विनीता"

स्वार्थी दुखी रहता है

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