अख़बार मैं राजनीति मैं सत्ता हूं
शुरुआत तो हुई थी बड़े-बड़े वादों से अच्छे नेक इरादों से मगर मेरे दामन पर हजारों दाग है ना जाने कितने किए गुनाह और पाप है
वक्त ने भी मेरा रंग दिखा दिया मेरे वादों का रंग फीका किया
जो टिक ना सके वह मैं थी
जो टिक गए वह मेरे पूंजीपति बाप थे
मेरे देश मरता रहा दर्द भरी आहे भरता रहा और मैं सत्ता करती रही
ना जाने क्यों बड़े-बड़े वादों और नेक इरादों से आगे आगे बढ़ती रही
हां मैं सत्ता हूं
©Vivek rana
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