Vivek rana

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आंचल मां का हो या यार का मैं हूं या कोई और सकून मिल ही जाता है पेड़ की छांव में मैं बैठूं या कोई और इसमें उसकी मर्जी मेरा क्या जाता है बस इतना समझ लो साहब जब यह आंचल छूट जाता है खुदा कसम आदमी बुरी तरह टूट जाता है ©Vivek rana

 आंचल मां का हो या यार का  मैं हूं या कोई और  
 सकून मिल ही जाता है 
 पेड़ की छांव में मैं बैठूं या कोई और  इसमें उसकी मर्जी मेरा क्या जाता है
बस इतना समझ लो साहब  जब यह आंचल छूट जाता है  
खुदा कसम  आदमी बुरी तरह टूट जाता है

©Vivek rana

Someday I Will ए आसमां तुझे देखकर अपने बचपन की याद आती है तेरी ही छांव में मैं बच्चे से बड़ा हुआ तेरी छांव मैं इस धरती पर आया माँ की गोद में और पिता के कंधे पर बैठ पाया ए आसमां एक बार फिर से मुझे मेरा बचपन लोटा दे पिता की उंगली थाम और मां की चुनरी पकड़ चला करता था मैं मां के इर्द-गिर्द घूमा करता था मैं ना जाने कब गलियों में खेलते खेलते शहर की इमारतों में खो गया क्यों मेरा बचपन ने दामन छोड़ दिया क्यों समय के खेल ने मुझे बड़ा किया ©Vivek rana

 Someday I Will  ए आसमां तुझे देखकर अपने बचपन की याद आती है 
 तेरी ही छांव में  मैं बच्चे से बड़ा हुआ 
 तेरी  छांव मैं  इस धरती पर आया   
 माँ की गोद में और पिता के कंधे पर बैठ पाया 
 ए आसमां  एक बार फिर से मुझे मेरा बचपन  लोटा  दे 
 पिता की उंगली थाम  और मां की चुनरी पकड़ चला करता था मैं 
 मां के इर्द-गिर्द घूमा करता था मैं 
 ना जाने कब गलियों में खेलते खेलते 
 शहर की इमारतों में खो गया 
क्यों मेरा बचपन ने दामन छोड़ दिया
 क्यों समय के खेल ने मुझे बड़ा किया

©Vivek rana

अख़बार मैं राजनीति मैं सत्ता हूं शुरुआत तो हुई थी बड़े-बड़े वादों से अच्छे नेक इरादों से मगर मेरे दामन पर हजारों दाग है ना जाने कितने किए गुनाह और पाप है वक्त ने भी मेरा रंग दिखा दिया मेरे वादों का रंग फीका किया जो टिक ना सके वह मैं थी जो टिक गए वह मेरे पूंजीपति बाप थे मेरे देश मरता रहा दर्द भरी आहे भरता रहा और मैं सत्ता करती रही ना जाने क्यों बड़े-बड़े वादों और नेक इरादों से आगे आगे बढ़ती रही हां मैं सत्ता हूं ©Vivek rana

#IndianNewspaperDay  अख़बार   मैं राजनीति   मैं सत्ता हूं 
 शुरुआत तो हुई थी बड़े-बड़े वादों से अच्छे नेक इरादों से मगर  मेरे दामन पर हजारों दाग है ना जाने कितने किए गुनाह और पाप है 
 वक्त ने भी मेरा रंग दिखा दिया मेरे वादों का रंग फीका किया 
  जो टिक ना सके वह  मैं  थी 
 जो टिक गए वह मेरे पूंजीपति बाप थे 
 मेरे देश मरता रहा दर्द भरी आहे भरता रहा  और मैं सत्ता करती रही 
 ना जाने क्यों बड़े-बड़े वादों और नेक इरादों से आगे आगे बढ़ती  रही 
 हां मैं सत्ता हूं

©Vivek rana

#IndianNewspaperDay Priya Sharma acharya Ritesh Rajbhar Hariom Pal Anurag Sangam Ap Vishal Malviya ankur

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#IndiaFightsCorona

जिंदगी की दौड़ बस इतनी है साहब कुछ इसको बनाने में लगे हैं तो कुछ जिंदगी को बचाने में अपनों के छूटते दामन को संभालने में और कुछ अपनों की आखिरी विदाई में लगे हैं ©Vivek rana

 जिंदगी की दौड़ बस इतनी है साहब  कुछ इसको बनाने में लगे हैं 
तो कुछ जिंदगी को बचाने में  
अपनों के  छूटते  दामन को संभालने में  और कुछ अपनों की आखिरी विदाई में लगे हैं

©Vivek rana

इस दर्द का अंत न जाने कब होगा @Sri Radhy @Ashutosh Ranjan Pandey Sri Sitaram @Sarita M @shayari dil ke Asif syed

12 Love

तेरे जाने के बाद सोचता हूं तुझे याद करूं या भुला दूं कब तक अपने आप को सजा दूं कुछ पल बाद फिर सोचता हूं कि किसी नए को आने की जगह दूं ©Vivek rana

#Smile  तेरे जाने के बाद सोचता हूं
 तुझे याद करूं या भुला दूं  
 कब तक अपने आप को सजा दूं 
कुछ  पल बाद फिर सोचता हूं कि किसी नए को आने की  जगह दूं

©Vivek rana

😁😁 #Smile ✨LÖfĪ✨ @Kamlesh singh yaduvanshi Hemant Samadhiya @Manjeet Gupta Suman Zaniyan @zarri farha

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