जिंदगी की दौड़ बस इतनी है साहब कुछ इसको बनाने में | हिंदी Shayari

"जिंदगी की दौड़ बस इतनी है साहब कुछ इसको बनाने में लगे हैं तो कुछ जिंदगी को बचाने में अपनों के छूटते दामन को संभालने में और कुछ अपनों की आखिरी विदाई में लगे हैं ©Vivek rana"

 जिंदगी की दौड़ बस इतनी है साहब  कुछ इसको बनाने में लगे हैं 
तो कुछ जिंदगी को बचाने में  
अपनों के  छूटते  दामन को संभालने में  और कुछ अपनों की आखिरी विदाई में लगे हैं

©Vivek rana

जिंदगी की दौड़ बस इतनी है साहब कुछ इसको बनाने में लगे हैं तो कुछ जिंदगी को बचाने में अपनों के छूटते दामन को संभालने में और कुछ अपनों की आखिरी विदाई में लगे हैं ©Vivek rana

इस दर्द का अंत न जाने कब होगा
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