आंचल मां का हो या यार का मैं हूं या कोई और सकून मिल ही जाता है पेड़ की छांव में मैं बैठूं या कोई और इसमें उसकी मर्जी मेरा क्या जाता है बस इतना समझ लो साहब जब यह आंचल छूट जाता है खुदा कसम आदमी बुरी तरह टूट जाता है ©Vivek rana Quotes, Shayari, Story, Poem, Jokes, Memes On Nojoto