गिर गिरकर उठने की कोशिश।
गिर गिरकर उठने की कोशिश कर,
मंजिल तुझको मिल जाएगी।
कब तक रूठेगी किस्मत तुझसे ,
एक दिन वो भी गले लगाएगी।
क्यों ठहरा है तू एक जगह पे
चल तू भी नदियों की धार पे
कल थमा था जो पल
वो भी चल निकलेगा
कर कोशिश तेरी हर कोशिश
का हल निकलेगा।
©️ प्रवीण सिन्हा
©Pravin sinha
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