यारों मुझको मेरे हाल पर रहने दो ना
तुम सुनते नही किसी ओर से कहने दो ना
इश्क़ में इबादत की मंजूरी होती ही हैं
ये जिस्म ए तम्मन्ना की इमारत ढहने दो ना
मुझ पर हक ए इश्क़ अदा करते हो तुम
इन आँसुओ को मेरी आँखो से बहने दो ना
अल्फाज़ों की फ़ज़ीलत समझो अंसारी
थोड़ा सा दर्द कलम को भी सहने दो ना
©Jishant ansari
#GateLight # feelings