बारिश का ताव, कागज की नाव, सहमे हुए | हिंदी कविता

"बारिश का ताव, कागज की नाव, सहमे हुए लोग, दहशत में गाँव, नदियों में उफान, ढूँढते सब ठाँव, बहते हुए पेड़, मिट्टी में कटाव, सब्ज़ी का खेत, फसल चढ़े दाँव, आवक हुआ कम, बढ़ने लगे भाव, सड़कें हैं जलमग्न, तैर रहे ऊदबिलाव, कट रहे किनारे, कहीं पर भराव, नेताओँ का दौरा, कहीं पर घेराव, जीवन की जंग, बंद हो बिखराव, रोगों का प्रकोप, दवा का छिड़काव, 'गुंजन' की पुकार, अब नहीं सताओ, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' समस्तीपुर बिहार ©Shashi Bhushan Mishra"

 बारिश का ताव, 
            कागज की नाव, 
सहमे हुए  लोग, 
             दहशत में  गाँव,
नदियों में उफान, 
            ढूँढते  सब  ठाँव, 
बहते  हुए   पेड़, 
            मिट्टी  में  कटाव,
सब्ज़ी  का  खेत, 
            फसल चढ़े  दाँव, 
आवक हुआ कम, 
            बढ़ने  लगे  भाव,
सड़कें हैं जलमग्न, 
          तैर रहे ऊदबिलाव,
कट   रहे   किनारे, 
          कहीं   पर   भराव,
नेताओँ  का  दौरा, 
           कहीं   पर   घेराव, 
जीवन   की  जंग, 
            बंद  हो  बिखराव,
रोगों  का  प्रकोप, 
           दवा का छिड़काव, 
'गुंजन' की पुकार, 
            अब नहीं सताओ,
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' 
        समस्तीपुर बिहार

©Shashi Bhushan Mishra

बारिश का ताव, कागज की नाव, सहमे हुए लोग, दहशत में गाँव, नदियों में उफान, ढूँढते सब ठाँव, बहते हुए पेड़, मिट्टी में कटाव, सब्ज़ी का खेत, फसल चढ़े दाँव, आवक हुआ कम, बढ़ने लगे भाव, सड़कें हैं जलमग्न, तैर रहे ऊदबिलाव, कट रहे किनारे, कहीं पर भराव, नेताओँ का दौरा, कहीं पर घेराव, जीवन की जंग, बंद हो बिखराव, रोगों का प्रकोप, दवा का छिड़काव, 'गुंजन' की पुकार, अब नहीं सताओ, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' समस्तीपुर बिहार ©Shashi Bhushan Mishra

#बारिश का ताव#

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