#अफगानिस्तान कराहें सुन कर भी अनसुना कर देने मे | हिंदी कविता

"#अफगानिस्तान कराहें सुन कर भी अनसुना कर देने में लगता है समुंदर भर का साहस। किसी बेबस का छाती पीट के रोना कितना बेचैन कर देता है! पर वो जो बैठे हैं सिर पर ताज लिए रोज ही ऐसा कैसे कर लेते हैं ? ©Prabhat Anand"

 #अफगानिस्तान


कराहें सुन कर भी 
अनसुना कर देने में 
लगता है समुंदर भर का साहस।

किसी बेबस का छाती पीट के रोना 
कितना बेचैन कर देता है!

पर वो जो बैठे हैं सिर पर ताज लिए 
रोज ही ऐसा कैसे कर लेते हैं ?

©Prabhat Anand

#अफगानिस्तान कराहें सुन कर भी अनसुना कर देने में लगता है समुंदर भर का साहस। किसी बेबस का छाती पीट के रोना कितना बेचैन कर देता है! पर वो जो बैठे हैं सिर पर ताज लिए रोज ही ऐसा कैसे कर लेते हैं ? ©Prabhat Anand

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