तुम और कविता भीड़ में अलग से थे तुम या अलग थे भीड | हिंदी Poetry

"तुम और कविता भीड़ में अलग से थे तुम या अलग थे भीड़ से तुम कुछ तो था जो आकस्मिक नहीं हो सकता…. इतना मोह, यूँ ही नहीं हो सकता शायद, अलग से ही थे तुम…. मेरे तुम….❤️❤️ ©Ravi kanojia"

 तुम और कविता भीड़ में अलग से थे तुम 
या अलग थे भीड़ से तुम 
कुछ तो था 
जो आकस्मिक नहीं 
हो सकता….
इतना मोह,
यूँ ही नहीं हो सकता
शायद, 
अलग से ही थे तुम….
मेरे तुम….❤️❤️

©Ravi kanojia

तुम और कविता भीड़ में अलग से थे तुम या अलग थे भीड़ से तुम कुछ तो था जो आकस्मिक नहीं हो सकता…. इतना मोह, यूँ ही नहीं हो सकता शायद, अलग से ही थे तुम…. मेरे तुम….❤️❤️ ©Ravi kanojia

#TumAurKavita

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