White एक शख्स था आवारा सा,तन्हाई से मोहब्बत करता थ | English Shayari

"White एक शख्स था आवारा सा,तन्हाई से मोहब्बत करता था उसको किसी का सहारा नही,वो बे सहरो का सहारा बनता था भटकता था क़ब्रिस्तानो मेंइंसानों से दूर रहता था एक शख्स था आवारा सा,तन्हाई से मोहब्बत करता था अंधेरों में रहता था, रोशनी से वो डरता था ज्यादा कुछ नही बोलता, बस अपनी दिल की बात शायरी में लिखता था एक शख्स था आवारा सा,तन्हाई से मोहब्बत करता था ना खुद की खबर थी न खुद के हाल से वाकिफ था मगर वक्त वक्त पे वो सबकी खैरियत पूछता था... वक्त और हालत ने उसको पूरा तोड़ के रख दिया था फिर भी वो खुदा से शिकवा नहीं करता था एक शख्स था आवारा सा,तन्हाई से मोहब्बत करता था लबों को सी लिया था, आंखो से बोलता था वो सोचता उसकी खामोशी कोई पड़ेगा पागल था वो...इस मुनाफिकत दुनिया पे भरोसा करता था...! एक शख्स था आवारा सा, तन्हाई से मोहब्बत करता था वो किसी की ठुकराई मोहब्बत था, किसी का दिया ज़ख्म लेके घूमता था गजल सुनते हुए रो पड़ता था, तारीफों से वो डरता था एक शख्स था आवारा सा, तन्हाई से मोहब्बत करता था....! ©UNCLE彡RAVAN"

 White एक शख्स था आवारा सा,तन्हाई से मोहब्बत करता था 
उसको किसी का सहारा नही,वो बे सहरो का सहारा बनता था
भटकता था क़ब्रिस्तानो मेंइंसानों से दूर रहता था

एक शख्स था आवारा सा,तन्हाई से मोहब्बत करता था

अंधेरों में रहता था, रोशनी से वो डरता था
ज्यादा कुछ नही बोलता, बस अपनी दिल की बात शायरी में लिखता था
एक शख्स था आवारा सा,तन्हाई से मोहब्बत करता था
ना खुद की खबर थी न खुद के हाल से वाकिफ था
मगर वक्त वक्त पे वो सबकी खैरियत पूछता था...
वक्त और हालत ने उसको पूरा तोड़ के रख दिया था
फिर भी वो खुदा से शिकवा नहीं करता था

एक शख्स था आवारा सा,तन्हाई से मोहब्बत करता था

लबों को सी लिया था, आंखो से बोलता था
वो सोचता उसकी खामोशी कोई पड़ेगा
पागल था वो...इस मुनाफिकत दुनिया पे भरोसा करता था...!

एक शख्स था आवारा सा, तन्हाई से मोहब्बत करता था

वो किसी की ठुकराई मोहब्बत था, किसी का दिया ज़ख्म लेके घूमता था
गजल सुनते हुए रो पड़ता था, तारीफों से वो डरता था

एक शख्स था आवारा सा, तन्हाई से मोहब्बत करता था....!

©UNCLE彡RAVAN

White एक शख्स था आवारा सा,तन्हाई से मोहब्बत करता था उसको किसी का सहारा नही,वो बे सहरो का सहारा बनता था भटकता था क़ब्रिस्तानो मेंइंसानों से दूर रहता था एक शख्स था आवारा सा,तन्हाई से मोहब्बत करता था अंधेरों में रहता था, रोशनी से वो डरता था ज्यादा कुछ नही बोलता, बस अपनी दिल की बात शायरी में लिखता था एक शख्स था आवारा सा,तन्हाई से मोहब्बत करता था ना खुद की खबर थी न खुद के हाल से वाकिफ था मगर वक्त वक्त पे वो सबकी खैरियत पूछता था... वक्त और हालत ने उसको पूरा तोड़ के रख दिया था फिर भी वो खुदा से शिकवा नहीं करता था एक शख्स था आवारा सा,तन्हाई से मोहब्बत करता था लबों को सी लिया था, आंखो से बोलता था वो सोचता उसकी खामोशी कोई पड़ेगा पागल था वो...इस मुनाफिकत दुनिया पे भरोसा करता था...! एक शख्स था आवारा सा, तन्हाई से मोहब्बत करता था वो किसी की ठुकराई मोहब्बत था, किसी का दिया ज़ख्म लेके घूमता था गजल सुनते हुए रो पड़ता था, तारीफों से वो डरता था एक शख्स था आवारा सा, तन्हाई से मोहब्बत करता था....! ©UNCLE彡RAVAN

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