माना रावण अभिमानी था वैदेही को हर लाया था।
भगवान के हाथों मरने को उसने ये क़दम बढ़ाया था।
मालूम था उसको जिनको वो हर लाया है दुर्गा मां हैं।
सीता के प्राणप्रिय राम खुद मर्यादा की सीमा हैं।
था ज्ञानवान लेकिन उसने अपना सब ज्ञान छिपाया था।
भगवान के हाथों ----
जिसने स्वयं महादेव को भी दस बार शीश दे साध लिया।
अपनी भुजाओं के बल पर कितनी बार काल को बांध लिया।
बस अहंकार ने रावण का श्री राम से द्रोह कराया था।
भगवान के हाथों -----
द्रोह किया विद्रोह किया संकल्प से लेकिन हटा नहीं।
हर बार जलाना पड़ता है इसका मतलब वो मिटा नहीं।
है धन्य दशानन जिसको खुद राघव ने श्रेष्ठ बताया था।
भगवान के हाथों -----
मानवता की हर पीढ़ी को यह सारा प्रसंग समझना है।
अहंकार को हर युग में सच्चाई के आगे झुकना है।
ए "अमित" राम ने सच को ही अपना आधार बनाया था।
भगवान के हाथों -----
✍️ अमित कुमार "यश"
©Amit Kumar yash
#NojotoRamleela