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Uttar pradesh
Amit Kumar yash
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जानकी के प्राण हैं वो नाथ हैं अनाथन के। काल की गति से परे वो भाग्य हैं विधातन के। इस धरा पे कृष्ण यदि सत्य का प्रमाण हैं तो विश्व के पटल पे राम सूर्य हैं सनातन के। ✍️ अमित कुमार "यश" ©Amit Kumar yash
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माना रावण अभिमानी था वैदेही को हर लाया था। भगवान के हाथों मरने को उसने ये क़दम बढ़ाया था। मालूम था उसको जिनको वो हर लाया है दुर्गा मां हैं। सीता के प्राणप्रिय राम खुद मर्यादा की सीमा हैं। था ज्ञानवान लेकिन उसने अपना सब ज्ञान छिपाया था। भगवान के हाथों ---- जिसने स्वयं महादेव को भी दस बार शीश दे साध लिया। अपनी भुजाओं के बल पर कितनी बार काल को बांध लिया। बस अहंकार ने रावण का श्री राम से द्रोह कराया था। भगवान के हाथों ----- द्रोह किया विद्रोह किया संकल्प से लेकिन हटा नहीं। हर बार जलाना पड़ता है इसका मतलब वो मिटा नहीं। है धन्य दशानन जिसको खुद राघव ने श्रेष्ठ बताया था। भगवान के हाथों ----- मानवता की हर पीढ़ी को यह सारा प्रसंग समझना है। अहंकार को हर युग में सच्चाई के आगे झुकना है। ए "अमित" राम ने सच को ही अपना आधार बनाया था। भगवान के हाथों ----- ✍️ अमित कुमार "यश" ©Amit Kumar yash
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कोई खुश्बू तलाश करता है। कोई कांटों में वास करता है। दिल किसी का कोई दुखाता है अपना ही सर्वनाश करता है। ✍️ अमित कुमार "यश" ©Amit Kumar yash
सब अपना किरदार निभाने आये हैं। जीवन का त्यौहार मनाने आये हैं। हम कवियों के हाथ कलम का मतलब है मानवता का सार बताने आये हैं। ✍️ अमित कुमार "यश" ©Amit Kumar yash
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