जानकी के प्राण हैं वो नाथ हैं अनाथन के। काल की गति | English Shayari

"जानकी के प्राण हैं वो नाथ हैं अनाथन के। काल की गति से परे वो भाग्य हैं विधातन के। इस धरा पे कृष्ण यदि सत्य का प्रमाण हैं तो विश्व के पटल पे राम सूर्य हैं सनातन के। ✍️ अमित कुमार "यश" ©Amit Kumar yash"

 जानकी के प्राण हैं वो नाथ हैं अनाथन के।
काल की गति से परे वो भाग्य हैं विधातन के।
इस धरा पे कृष्ण यदि सत्य का प्रमाण हैं तो 
विश्व के पटल पे राम सूर्य हैं सनातन के।

✍️ अमित कुमार "यश"

©Amit Kumar yash

जानकी के प्राण हैं वो नाथ हैं अनाथन के। काल की गति से परे वो भाग्य हैं विधातन के। इस धरा पे कृष्ण यदि सत्य का प्रमाण हैं तो विश्व के पटल पे राम सूर्य हैं सनातन के। ✍️ अमित कुमार "यश" ©Amit Kumar yash

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