सदियों बीत गए थे लेकिन मन्दिर नहीं बना पाए। मतभेदो | हिंदी Shayari Vid

"सदियों बीत गए थे लेकिन मन्दिर नहीं बना पाए। मतभेदों में बंधे हुए हम खुद को नहीं जगा पाए। राम काज करने को फिर वो हनुमान बनकर आया। राम लला को उनके ही घर में वो वापस ले आया। अवधपुरी जो धर्म अहिंसा सदाचार की धनी रही। जिस पर मेरे राघव की मर्यादा हरदम बनी रही। उसी अवध से मानवता का घूंघट कौन उतार गया। राम राज्य में बोलो कैसे सत्य सनातन हार गया। ✍️ अमित कुमार "यश" ©Amit Kumar yash "

सदियों बीत गए थे लेकिन मन्दिर नहीं बना पाए। मतभेदों में बंधे हुए हम खुद को नहीं जगा पाए। राम काज करने को फिर वो हनुमान बनकर आया। राम लला को उनके ही घर में वो वापस ले आया। अवधपुरी जो धर्म अहिंसा सदाचार की धनी रही। जिस पर मेरे राघव की मर्यादा हरदम बनी रही। उसी अवध से मानवता का घूंघट कौन उतार गया। राम राज्य में बोलो कैसे सत्य सनातन हार गया। ✍️ अमित कुमार "यश" ©Amit Kumar yash

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