"रोशनी तो हर जगह है पर वह
उजाला कहीं खो सा गया है,
इंसान तो जाग रहा है
पर इंसानियत का दौर
कहीं खो सा गया है,
ऊंची ऊंची इमारतों के
बड़े-बड़े शहर तो बना लिए
पर सुकून दे सके वह
आशियाना कहीं खो सा गया है....
(RONAK SOLANKI)"
रोशनी तो हर जगह है पर वह
उजाला कहीं खो सा गया है,
इंसान तो जाग रहा है
पर इंसानियत का दौर
कहीं खो सा गया है,
ऊंची ऊंची इमारतों के
बड़े-बड़े शहर तो बना लिए
पर सुकून दे सके वह
आशियाना कहीं खो सा गया है....
(RONAK SOLANKI)