गुज़र रही है राते उसका इंतजार देखते देखते
भर आयी है आँखे उसका प्यार देखते देखते
!
सम्भाले हुए रखी जो यादे बन्द लिफाफों में
गल गयी सब झरनों की बौछार देखते देखते
!
अल्हड़ सी थी कभी आबो हवा उस शख्स की
वो हो चले जाने कब होशियार देखते देखते
!
जली हुयी ही छोड़ी थी मशाल उस दश्त में
जाने कब हुआ अंधेरा वो दयार देखते देखते
!
#आपका_चूहा
#Earth_Day_2020 #आपका_चूहा