#उम्मीद के बादल कैसे न फूटते हमारे
हमने उनके #भरोसे को अपनी #ताकत जो बना रखा था
पूरे गाँव को शक था कि हम मोहब्बत में मशरूफ है
न जाने किस मौसम ने उस हवा को अपने सर चढा रखा था
!
#आपका_चूहा
हर लफ्ज़ में वही बसने लगा है
हर याद में उसी के जाले रहते है
!
इतने उधड़ चुके है हक़ीक़त में
के हर शब आँखों मे प्याले रहते है
!
छलककर ख्वाबों में बिखर जाते है
तो कभी अंधेरे गले लगा लेते है
!
यू ही नही फ़क़त गुमनामी में डूबे है
हम तो हर वक्त उसी के हवाले रहते है
!
गवारा नही हमे कि अब किसी के हो जाएं
जुगनू वहाँ कहा होते है जहाँ उजाले रहते है
!
और उस दरिया में क्या मिलेगा गोते खाने से
मख़सूस जहां नगीने नही सिर्फ कसाले रहते हैं
गुज़र रही है राते उसका इंतजार देखते देखते
भर आयी है आँखे उसका प्यार देखते देखते
!
सम्भाले हुए रखी जो यादे बन्द लिफाफों में
गल गयी सब झरनों की बौछार देखते देखते
!
अल्हड़ सी थी कभी आबो हवा उस शख्स की
वो हो चले जाने कब होशियार देखते देखते
!
जली हुयी ही छोड़ी थी मशाल उस दश्त में
जाने कब हुआ अंधेरा वो दयार देखते देखते
!
#आपका_चूहा
मोहब्बत का काँटो भरा रास्ता है
खुशियां कम दर्द से ज्यादा वास्ता है
!
चौखट पर इसकी दस्तक देने से पहले
बूढा हो या जवान हर कोई खास्ता है
!
मोहरा हर दिल है इसकी रहगुज़र में
बस हर बाजी का जीत-ओ-हार से राब्ता है
!
#आपका_चूहा
है अजब ये मुसीबत बता क्या करें
चारों तरफ फजीहत बता क्या करे
!
हवाओं में जहर है उलफ़्तों के नाम पर
नफरत है बस हकीकत बता क्या करें
!
सब डर से बैठे घर मे कुछ जेर बांट रहे है
तस्माबाज़ी बनी मुहब्बत बता क्या करे
!
क्या रोग लग गया है इंसान बिक गया है
ईमान में कड़वाहट बता क्या करें
!
तस्माबाज़ी :- छल कपट
!
#आपका_चूहा
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