बस ज़िंदगी का दस्तूर भी कुछ ऐसे ही है, आरंभ ढूंढ

""बस ज़िंदगी का दस्तूर भी कुछ ऐसे ही है, आरंभ ढूंढो तो अंत नज़र आता है। और अंत ढूंढो तो आरंभ नज़र आता है। बस चंद सांसों को एक आईना बना लो और प्यार से दो नयना सज़ा लो और ज़िंदगी के रंगीन कैनवास पर आरंभ अंत दोनों खोज लो।" D.R.P."

 "बस ज़िंदगी का दस्तूर भी कुछ  ऐसे ही है, 
आरंभ ढूंढो तो अंत नज़र आता है।
और अंत ढूंढो तो आरंभ नज़र आता है।
बस चंद सांसों को 
एक आईना बना लो 
और 
प्यार से दो नयना सज़ा लो 
और ज़िंदगी  के रंगीन कैनवास पर
आरंभ अंत दोनों खोज लो।"
D.R.P.

"बस ज़िंदगी का दस्तूर भी कुछ ऐसे ही है, आरंभ ढूंढो तो अंत नज़र आता है। और अंत ढूंढो तो आरंभ नज़र आता है। बस चंद सांसों को एक आईना बना लो और प्यार से दो नयना सज़ा लो और ज़िंदगी के रंगीन कैनवास पर आरंभ अंत दोनों खोज लो।" D.R.P.

ज़िंदगी के दस्तूर भी...

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