Dhaniram

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working as an Actor & Story writer film industry Mumbai India without my permission in these all my creation dont use another place... I have copywrite to all my own...! thanks

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 "मुझे तुम्हारी बहुत जरूरत है 
मंजिल
 को फ़तेह करने तक
ये रंगीन रास्ते फीकी दुनिया के स्वाद का
 कोई अंदाज़ा नही....
वक्त बे वक़्त कब रुला बैठे...."🏌️🏌️

©Dhaniram

रंगीन दुनिया sanju

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 पापी पेट 
भूख और जगह नही देखती साहब
चाहे सामने 
शार्क या मगर ही क्यों न हो...



किंगफिशर#श्रीलंका

©Dhaniram Nirdhan

भूख

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#thought #Dillagi #story #Man  आज कल का वक्त ही खराब है जनाब..👀 
पहले हम उनके खौफ़ से डरते थे...
और जब दूरियां
 नज़दीकियों में बदली तो
        उनके.....😢🏌️🏌️🏌️

©Dhaniram Nirdhan

Extreem love #thought #story#Man#Dillagi

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"कुछ लोग बहुत उतावले हैं तीसरे विश्वयुद्ध को लेकर....!" कोई कहता है,कि तीसरा युद्ध, पानी को लेकर होगा, कोई कहता है, मज़हब को लेकर होगा, तो कोई कहता है, सीमाओं को लेकर होगा, पर होगा ज़रूर....!" क्यों कि कुछ लोगों को सिर्फ बहाना चाहिए । मरने और मारने का। पर मैं कहता हूँ....एक अनुभव के तहत, रे...इंसान इतना भी मत परेसा हो, किसी को मरने और मारने के लिये...! बीमारियां, लाचारियाँ अपना काम कर रही हैं । कैंसर के रूप में ,आत्म हत्या के रूप में , तू बस देखता जा । परेसा मत हो। घर जा...! और प्रार्थना कर की ये तीसरा युद्ध बस तेरे कारण न हो।" सूरज घोषी .......

 "कुछ लोग बहुत उतावले हैं 
तीसरे विश्वयुद्ध को लेकर....!"
कोई कहता है,कि तीसरा युद्ध,
पानी को लेकर होगा, 
कोई कहता है, मज़हब को लेकर होगा,
तो कोई कहता है,
सीमाओं को लेकर होगा, 
पर होगा ज़रूर....!"
क्यों कि कुछ लोगों को सिर्फ बहाना चाहिए ।
मरने और मारने का।
पर मैं कहता हूँ....एक अनुभव के तहत,
रे...इंसान इतना भी मत परेसा हो,
किसी को मरने और मारने के लिये...!
बीमारियां, लाचारियाँ अपना काम कर रही हैं ।
कैंसर के रूप में ,आत्म हत्या के रूप में , तू बस देखता जा । 
परेसा मत हो।
 घर जा...!
और प्रार्थना कर की ये तीसरा युद्ध बस तेरे कारण न हो।"
                                       सूरज घोषी .......

कुछ लोग...!

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"बस ज़िंदगी का दस्तूर भी कुछ ऐसे ही है, आरंभ ढूंढो तो अंत नज़र आता है। और अंत ढूंढो तो आरंभ नज़र आता है। बस चंद सांसों को एक आईना बना लो और प्यार से दो नयना सज़ा लो और ज़िंदगी के रंगीन कैनवास पर आरंभ अंत दोनों खोज लो।" D.R.P.

 "बस ज़िंदगी का दस्तूर भी कुछ  ऐसे ही है, 
आरंभ ढूंढो तो अंत नज़र आता है।
और अंत ढूंढो तो आरंभ नज़र आता है।
बस चंद सांसों को 
एक आईना बना लो 
और 
प्यार से दो नयना सज़ा लो 
और ज़िंदगी  के रंगीन कैनवास पर
आरंभ अंत दोनों खोज लो।"
D.R.P.

ज़िंदगी के दस्तूर भी...

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"बख़्त की भी रज़ा थी कि मेरी रफ़्तार ज़माने से भी तेज हो। और मैं भी बुलंदियों की तामीर को फ़तेह कर लूं। पर अपनों को ही गंवारा न था। ज़िंदगी की भागती रफ्तार से अनायास ही पलट कर देखा तो सच मे किसी का......! D.R. Nirdhan

 "बख़्त की भी रज़ा थी कि  मेरी  रफ़्तार ज़माने से भी तेज हो।
और मैं भी बुलंदियों की तामीर को फ़तेह कर लूं।
पर अपनों को ही गंवारा न था।
ज़िंदगी की भागती रफ्तार से अनायास ही पलट कर देखा
तो सच मे किसी का......!
                         D.R. Nirdhan

बख़्त की रज़ा क्या है...

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