मेरी ज़िन्दगी जीने की हर रस्म तुम हो,
गीत ग़ज़ल या हो नज़्म सब तुम हो
तुम हो........................ तो हम हैं
बाकी दर्द तमाम हैं मरहम सिर्फ़ तुम हो
बेशक कांटों के सफ़र से गुजरे ज़िंदगी
हर जख्म बेअसर हैं गर हमसफर तुम हो
और क्या क्या बताए......तुम्हें ऐ सनम
मेरा हर क़दम तुम हो, मेरा हमदम तुम हो
मेरा हर वचन तुम हो , मेरा हर करम तुम हो
तुम हो ...तुम हो... और सिर्फ़ तुम हो....❤️
✍️ ख़ुदरंग..✍️
©Cwam Xharma