उफ। ये रात का आना, मन को घायल कर जाता है जहां रात

"उफ। ये रात का आना, मन को घायल कर जाता है जहां रात के परवाने में, सितारों की एक शम्मा जलती है। मन बाग - बाग हो उठता है इस धरती का........ जब चांद की नज़रें उस...चांदनी से जा मिलती हैं। है गवाह धरती , ये अंबर उस रात के जिसके अंधेरे में इनके मिलन से, चांदनी रात बनती है। ये कैसा रिश्ता है अंबर से इन चांद , सितारों का ? जहां खुद प्रकृति ही एक गाढ़े प्रेम की सौगात बनती है। ©Rachna"

 उफ। ये रात का आना, मन को घायल कर जाता है
जहां रात के परवाने में, सितारों की एक शम्मा जलती है।

मन बाग - बाग हो उठता है इस धरती का........
जब चांद की नज़रें उस...चांदनी से जा मिलती हैं।

है गवाह धरती , ये अंबर उस रात के
 जिसके अंधेरे में इनके मिलन से, चांदनी रात बनती है।

ये कैसा रिश्ता है अंबर से इन चांद , सितारों का ?
जहां खुद प्रकृति ही एक गाढ़े प्रेम की सौगात बनती है।

©Rachna

उफ। ये रात का आना, मन को घायल कर जाता है जहां रात के परवाने में, सितारों की एक शम्मा जलती है। मन बाग - बाग हो उठता है इस धरती का........ जब चांद की नज़रें उस...चांदनी से जा मिलती हैं। है गवाह धरती , ये अंबर उस रात के जिसके अंधेरे में इनके मिलन से, चांदनी रात बनती है। ये कैसा रिश्ता है अंबर से इन चांद , सितारों का ? जहां खुद प्रकृति ही एक गाढ़े प्रेम की सौगात बनती है। ©Rachna

night with lovely moon and stars

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