Rachna

Rachna

पन्ना- पन्ना राजों से भरा, जिंदगी जिनकी मौहताज है। कुछ ऐसे बिखरे अल्फाजों में लिखी मेरी ज़िंदगी की किताब है।। Rachn kaur writer and reciter.

  • Latest
  • Popular
  • Repost
  • Video

हां मालूम है, मैं तेरे समाज की एक नारी हूं, तेरे समाज की नजरों में मैं, अबला हूं बेचारी हूं ।। कहीं हार जीत ली जाती हूं, इस जुए के व्यापार में, बता तो जरा! मेरा कितना मोल है, तेरे इज्ज़त के बाजार में।। कहीं बेटी, मां, बहन होकर, रिश्तों के दीप जलाती हूं , तो कहीं अंधेरी रातों के, कोने में लूट ली जाती हूं।। रिश्तों की चेन बनाने वाली, हर रूप में मैं एक नारी हूं , संसार तो आगे बढ़ा... दिया, पर मैं इज्जत की मारी हूं। ©Rachna

#नारी  हां मालूम है, मैं तेरे समाज की एक नारी हूं,
तेरे समाज की नजरों में मैं, अबला हूं बेचारी हूं ।।

कहीं हार जीत ली जाती हूं, इस जुए के व्यापार में,
बता तो जरा! मेरा कितना मोल है, तेरे इज्ज़त के बाजार में।।

कहीं बेटी, मां, बहन होकर, रिश्तों के दीप जलाती हूं ,
तो कहीं अंधेरी रातों के, कोने में लूट ली जाती हूं।।

रिश्तों की चेन बनाने वाली, हर रूप में मैं एक नारी हूं ,
संसार तो आगे बढ़ा... दिया, पर मैं इज्जत की मारी हूं।

©Rachna

जर्रे - जर्रे , चलत - चलत यूं शहर भए सुनसान , जान बचाने की खातिर आज भूखा है इंसान। डग - डग, पग- पग धीर धरे, एक पूछत लाल बिचार, कित आवत मां गाम है और कितनो डग भयो पार। पैरन-पैरन पीर भए और पंछी चले सुदूर, आज भूखमरी की छांव में, सब आ बैठे मज़दूर। नैनन - नैनन नीर बहे, क्यूं छोड़ चले परदेस, मौत अकाली देखकर, सब दंग रह गए देश। कहे परिंदा देखकर , ये क्या धरती का हाल, इक दिन सबको ले डूबेगा कोरोना का काल। ©Rachna

#poem  जर्रे - जर्रे , चलत - चलत यूं शहर भए सुनसान ,
जान बचाने की खातिर आज भूखा है इंसान।

                   डग - डग, पग- पग धीर धरे, एक पूछत लाल बिचार,
                   कित आवत मां गाम है और कितनो डग भयो पार।

पैरन-पैरन पीर भए और पंछी चले सुदूर,
आज भूखमरी  की छांव में, सब आ बैठे मज़दूर।

                    नैनन - नैनन नीर बहे, क्यूं छोड़ चले परदेस,
                    मौत अकाली देखकर, सब दंग रह गए देश।

कहे परिंदा देखकर , ये क्या धरती का हाल,
इक दिन सबको ले डूबेगा कोरोना का काल।

©Rachna

# Pathetic situation at the time of corona

9 Love

उफ। ये रात का आना, मन को घायल कर जाता है जहां रात के परवाने में, सितारों की एक शम्मा जलती है। मन बाग - बाग हो उठता है इस धरती का........ जब चांद की नज़रें उस...चांदनी से जा मिलती हैं। है गवाह धरती , ये अंबर उस रात के जिसके अंधेरे में इनके मिलन से, चांदनी रात बनती है। ये कैसा रिश्ता है अंबर से इन चांद , सितारों का ? जहां खुद प्रकृति ही एक गाढ़े प्रेम की सौगात बनती है। ©Rachna

#poem  उफ। ये रात का आना, मन को घायल कर जाता है
जहां रात के परवाने में, सितारों की एक शम्मा जलती है।

मन बाग - बाग हो उठता है इस धरती का........
जब चांद की नज़रें उस...चांदनी से जा मिलती हैं।

है गवाह धरती , ये अंबर उस रात के
 जिसके अंधेरे में इनके मिलन से, चांदनी रात बनती है।

ये कैसा रिश्ता है अंबर से इन चांद , सितारों का ?
जहां खुद प्रकृति ही एक गाढ़े प्रेम की सौगात बनती है।

©Rachna

night with lovely moon and stars

14 Love

मोहन तेरी मेघा-रे क्यूं छलक-छलक बरसाय , मंद हवा, घनघोर घटा संग, सर सर बहती जाय। रतियन के अंधियारे में हर डाल पात लहराय, ये छम-छम, टिप-टिप बरसाने की मीठी तान सुनाय। अर्ध रात की बेला भी सुन मोहन- मोहन गाय, देख प्रकृति अदभुत- सा संग मंद- मंद मुस्काय।। ©Rachna

#raindrops  मोहन तेरी मेघा-रे क्यूं छलक-छलक बरसाय ,
मंद हवा, घनघोर घटा संग, सर सर बहती जाय। 

रतियन के अंधियारे में हर डाल पात लहराय,
ये छम-छम, टिप-टिप बरसाने की मीठी तान सुनाय।

अर्ध रात की बेला भी सुन मोहन- मोहन गाय, 
देख प्रकृति अदभुत- सा संग मंद- मंद मुस्काय।।

©Rachna

#raindrops

15 Love

मैं भी मंज़िल पाने की पक्की हूं। ©Rachna

 मैं भी मंज़िल पाने की पक्की हूं।

©Rachna

मैं भी मंज़िल पाने की पक्की हूं। ©Rachna

12 Love

उम्मीदों की नदियों में कुछ डुबकी लगाकर, मेरे ख्वाबों की कश्ती ने किनारा कर लिया। ©Rachna

 उम्मीदों की नदियों में कुछ डुबकी लगाकर,
मेरे ख्वाबों की कश्ती ने किनारा कर लिया।

©Rachna

उम्मीदों की नदियों में कुछ डुबकी लगाकर, मेरे ख्वाबों की कश्ती ने किनारा कर लिया। ©Rachna

17 Love

Trending Topic