मोहन तेरी मेघा-रे क्यूं छलक-छलक बरसाय ,
मंद हवा, घनघोर घटा संग, सर सर बहती जाय।
रतियन के अंधियारे में हर डाल पात लहराय,
ये छम-छम, टिप-टिप बरसाने की मीठी तान सुनाय।
अर्ध रात की बेला भी सुन मोहन- मोहन गाय,
देख प्रकृति अदभुत- सा संग मंद- मंद मुस्काय।।
©Rachna
#raindrops