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विश्व पटल पे रहा,अटल सदा भारती भारती ने जना जिसे,ऐसा वो चिंगारी था साहित्य कला का हस्त,वह था अजातशत्रु जिसका जीवन राष्ट्र ,पर बलिहारी था आर्यभूमि पर ऐसा, नर-नाहर प्रसूत हुआ जिसका पर्याय,खुद खुद्दारी था अमेरिका को भी नानी, याद करवाने वाला भारती का वह सूत, अटल बिहारी था। -शाश्वत_आयुष ©shashwat ayush

 विश्व पटल पे रहा,अटल सदा भारती
भारती ने जना जिसे,ऐसा वो चिंगारी था

साहित्य कला का हस्त,वह था अजातशत्रु
जिसका जीवन राष्ट्र ,पर बलिहारी था

आर्यभूमि पर ऐसा, नर-नाहर प्रसूत
हुआ जिसका पर्याय,खुद खुद्दारी था

अमेरिका को भी नानी, याद करवाने वाला
भारती का वह सूत, अटल बिहारी था।
-शाश्वत_आयुष

©shashwat ayush

विश्व पटल पे रहा,अटल सदा भारती भारती ने जना जिसे,ऐसा वो चिंगारी था साहित्य कला का हस्त,वह था अजातशत्रु जिसका जीवन राष्ट्र ,पर बलिहारी था आर्यभूमि पर ऐसा, नर-नाहर प्रसूत हुआ जिसका पर्याय,खुद खुद्दारी था अमेरिका को भी नानी, याद करवाने वाला भारती का वह सूत, अटल बिहारी था। -शाश्वत_आयुष ©shashwat ayush

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"हिमांश" हम समझते रहे कि भरते हैं घाव ज़िन्दगी के, मगर सच तो यह है कि बस बदलते रहते हैं घाव इस ज़िन्दगी के॥ (एक घाव) ©Himanshu Tomar

#ज़िन्दगी #हिमांश #बदलाव #Motivational #घाव  "हिमांश" हम समझते रहे कि भरते हैं घाव ज़िन्दगी के,
मगर सच तो यह है कि बस बदलते रहते हैं घाव इस ज़िन्दगी के॥
(एक घाव)

©Himanshu Tomar

ठन गई ! मौत से ठन गई ! जूझने का मेरा इरादा न था, मोड़ पर मिलेंगे उसका वादा न था रास्ता रोक कर वह खडी हो गई, यों लगा जिंदगी से बड़ी हो गई । मौत की उम्र क्या है?दो पल भी नहीं, जिंदगी-सिलसिला, आज-कल की नहीं, मैं जी भर जिया,मैं मन भर मरूँ, लौट कर आऊंगा,कूंच से क्यों डरूँ? तू दबेपांव,चोरी-छिपे से न आ, सामने से वार कर,फिर मुझे आजमा, मौत से बेखबर, जिंदगी का सफर, शाम हर सुरमई,रात बंशी का स्वर । बात ऐसी नहीं कि कोई गम नहीं, दर्द अपने-पराये कुछ कम नहीं । प्यार इतना परायों से मुझको मिला, न अपनों से बाकी है कोई गिला। हर चुनौती से दो हाथ मैंने किये, आंधियों में जलाएं हैं बुझते दिए। आज झकझोरता तेज तूफान है, नाव भवरों की बाहों में मेहमान है, पार पाने का क़ायम मग़र फैसला, देख तूफ़ां का तेवर तरी ठन गईं, मौत से ठन गई......" ©Deepti Shrivastava

#कविता  ठन गई !
मौत से ठन गई !
जूझने का मेरा इरादा न था,
मोड़ पर मिलेंगे उसका वादा न था
रास्ता रोक कर वह खडी हो गई,
यों लगा जिंदगी से बड़ी हो गई ।
मौत की उम्र क्या है?दो पल भी नहीं,
जिंदगी-सिलसिला, आज-कल की नहीं,
मैं जी भर जिया,मैं मन भर मरूँ,
लौट कर आऊंगा,कूंच से क्यों डरूँ?
तू दबेपांव,चोरी-छिपे से न आ,
सामने से वार कर,फिर मुझे आजमा,
मौत से बेखबर, जिंदगी का सफर,
शाम हर सुरमई,रात बंशी का स्वर ।
बात ऐसी नहीं कि कोई गम नहीं,
दर्द अपने-पराये कुछ कम नहीं ।
प्यार इतना परायों से मुझको मिला,
न अपनों से बाकी है कोई गिला।
हर चुनौती से दो हाथ मैंने किये,
आंधियों में जलाएं हैं बुझते दिए।
आज झकझोरता तेज तूफान है,
नाव भवरों की बाहों में मेहमान है,
पार पाने का क़ायम मग़र फैसला,
देख तूफ़ां का तेवर तरी ठन गईं,
मौत से ठन गई......"

©Deepti Shrivastava

ठन गई ! मौत से ठन गई ! जूझने का मेरा इरादा न था, मोड़ पर मिलेंगे उसका वादा न था रास्ता रोक कर वह खडी हो गई, यों लगा जिंदगी से बड़ी हो गई । मौत की उम्र क्या है?दो पल भी नहीं, जिंदगी-सिलसिला, आज-कल की नहीं, मैं जी भर जिया,मैं मन भर मरूँ, लौट कर आऊंगा,कूंच से क्यों डरूँ? तू दबेपांव,चोरी-छिपे से न आ, सामने से वार कर,फिर मुझे आजमा, मौत से बेखबर, जिंदगी का सफर, शाम हर सुरमई,रात बंशी का स्वर । बात ऐसी नहीं कि कोई गम नहीं, दर्द अपने-पराये कुछ कम नहीं । प्यार इतना परायों से मुझको मिला, न अपनों से बाकी है कोई गिला। हर चुनौती से दो हाथ मैंने किये, आंधियों में जलाएं हैं बुझते दिए। आज झकझोरता तेज तूफान है, नाव भवरों की बाहों में मेहमान है, पार पाने का क़ायम मग़र फैसला, देख तूफ़ां का तेवर तरी ठन गईं, मौत से ठन गई......" ©Deepti Shrivastava

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इरादों में अपने फौलाद भरना सच की डगर से ज़रा भी ना हटना इरादों में अपने अटल गर रहोगे मिलेगी सफलता,पड़ेगा ना खटना ©Som Sangeet

#विचार  इरादों में अपने फौलाद भरना
सच की डगर से ज़रा भी ना हटना
इरादों में अपने अटल गर रहोगे
मिलेगी सफलता,पड़ेगा ना खटना

©Som Sangeet

इरादों में अपने फौलाद भरना

9 Love

करते रहो प्रयास, बाधाऐं आती है आए, नहीं थको आगे बढो,पाँव ना रूकने पाए। एक दिन लक्ष्य तुम्हारे, पास स्वयं आयेगा, खींच भाग्य की रेख,भाग्य जग जाएगा। अभिनन्दन, अभि,'रसमय' ©Abhinandan Gupta

#विचार  करते रहो प्रयास, बाधाऐं आती है आए,
नहीं थको आगे बढो,पाँव ना रूकने पाए।
एक दिन  लक्ष्य तुम्हारे, पास स्वयं आयेगा,
खींच भाग्य  की रेख,भाग्य  जग जाएगा।
अभिनन्दन, अभि,'रसमय'

©Abhinandan Gupta

करते रहो प्रयास, बाधाऐं आती है आए, नहीं थको आगे बढो,पाँव ना रूकने पाए। एक दिन लक्ष्य तुम्हारे, पास स्वयं आयेगा, खींच भाग्य की रेख,भाग्य जग जाएगा। अभिनन्दन, अभि,'रसमय' ©Abhinandan Gupta

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badhaye aati hai fir bhi kadam badha kar chalna hoga lakh musibat a jaaye hanskar aage badhana hoga kadam badha kar chalna hoga ©Punamsingh

#AtalBihariVajpayee #कविता #kavita  badhaye aati hai fir bhi kadam badha kar chalna hoga  lakh musibat a jaaye hanskar aage badhana hoga kadam badha kar chalna hoga

©Punamsingh
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