shashwat ayush

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#अदना_सा_क़लमकार

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सब अपने जगह पर सही हैं हमनें इसका माप किया हैं खुदको और उनको भी यहां पर हमने तो माफ किया है उनका अनुभव था जैसा भी वैसे ही गया समझा हमको इस मूल तत्व को जानने में लग गया एक असरा हमको। धमनियों में अब अपने क्रोध से रहित रक्त करना हैं अब पीड़ाओं के अविरल पथ पर कुंठा ध्वस्त करना हैं अब औरों से न कुछ भी शिकायत खुद को शसक्त करना हैं अब -शाश्वत_आयुष ©shashwat ayush

#सस्पेंस #lonely  सब अपने जगह पर सही हैं
हमनें इसका माप किया हैं
खुदको और उनको भी यहां
पर हमने तो माफ किया है

उनका अनुभव था जैसा भी
वैसे ही गया समझा हमको
इस मूल तत्व को जानने में
लग गया एक असरा हमको।

धमनियों में अब अपने क्रोध
से रहित रक्त करना हैं अब

पीड़ाओं के अविरल पथ पर
कुंठा  ध्वस्त करना हैं अब

औरों से न कुछ भी शिकायत
खुद को शसक्त करना हैं अब

-शाश्वत_आयुष

©shashwat ayush

#lonely

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#कविता #Naari

#Naari

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प्रीत का पर कुतरना न आये हमें हर युग में हम इसके समर्थक रहें। प्रेम के पथ पर हम पराजित हुए पर इससे अपनी कोई अनबन नहीं हम मधुकोश जग को लुटाते रहे पर सपने में भी अपने मधुबन नहीं हारे हैं समर हम प्रणय प्रीत के फ़िर भी हम इसके प्रवर्तक रहें प्रीत का पर कुतरना न आये हमें हम युग में हम इसके समर्थक रहें। प्रेम ईश्वरी चेतना का उद्गम हैं, वासना से इसका हैं कोई मेल नही जीवन व मृत्यु के बीच का ये अनुबंध इसे समझें कोई भी खेल नहीं वासना को यहाँ जिसने प्रेम कहाँ वो प्रेम के अनुयायी निर्रथक रग3 हर गए हैं समर हम प्रणय प्रित के फिर भी हम हैं,इसके प्रवर्तक रहें -शाश्वत_आयुष ©shashwat ayush

#कविता #Travel  प्रीत का पर कुतरना न आये हमें
हर युग में हम इसके समर्थक रहें।

प्रेम के पथ पर हम पराजित हुए
पर इससे अपनी कोई अनबन नहीं
हम मधुकोश जग को लुटाते रहे
पर सपने में भी अपने मधुबन नहीं

हारे हैं समर हम प्रणय प्रीत के
फ़िर भी हम इसके प्रवर्तक रहें

प्रीत का पर कुतरना न आये हमें
हम युग में हम इसके समर्थक रहें।

प्रेम ईश्वरी चेतना का उद्गम हैं,
वासना से इसका हैं कोई मेल नही
जीवन व मृत्यु के बीच का ये अनुबंध
इसे समझें कोई भी खेल नहीं

वासना को यहाँ जिसने प्रेम कहाँ
वो प्रेम के अनुयायी निर्रथक रग3
हर गए हैं समर हम प्रणय प्रित के
फिर भी हम हैं,इसके प्रवर्तक रहें

-शाश्वत_आयुष

©shashwat ayush

#Travel

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Kavitayein Dil Se

Kavitayein Dil Se

Wednesday, 14 September | 10:53 pm

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शर्त की बुनियाद पर रिश्ते अगर कोई टिके तो फिर वैसे रिश्तो का तो खत्म होना बेहतर है एक तरफ़ा रिश्ता हमें निभाना पड़े उससे अच्छा उनसे रिश्ता ना रहे रिश्ते मनुजता मूल्यों का अध्याय हो स्वार्थ सिद्धि का न तो ये बस पर्याय हो निज हित हेतु रिश्तो की मर्यादा तार कर जाते उन कुत्सित-कलंकीयो को देख मौन ये अधर हैं शर्त की बुनियाद पर रिश्ते अगर कोई टिके तो फिर वैसे रिश्तो का तो खत्म होना बेहतर है। पर कुछ होते ऐसे हैं जो बाहर से आपके बनते पर भीतर भीतर से तो वे प्रतिपल हैं आपके छलते आपको अपयश देने को हद से वो गुजर जाते वो निर्वीय सच मे होते स्वान से भी बद्तर हैं फिर वैसे रिश्तो का तो खत्म होना बेहतर है। ©shashwat ayush

#कविता #Hindidiwas  शर्त की बुनियाद पर रिश्ते अगर कोई टिके तो

फिर वैसे रिश्तो का तो खत्म होना बेहतर है

एक तरफ़ा रिश्ता हमें निभाना पड़े
उससे अच्छा उनसे रिश्ता ना रहे
 रिश्ते मनुजता मूल्यों का अध्याय हो
स्वार्थ सिद्धि का न तो ये बस पर्याय हो

निज हित हेतु रिश्तो की मर्यादा तार कर जाते
उन कुत्सित-कलंकीयो को देख मौन ये अधर हैं

शर्त की बुनियाद पर रिश्ते अगर कोई टिके तो

फिर वैसे रिश्तो का तो खत्म होना बेहतर है।


पर कुछ होते ऐसे हैं जो
बाहर से आपके बनते
पर भीतर भीतर से तो वे
प्रतिपल हैं आपके छलते

आपको अपयश देने को हद से  वो गुजर जाते
वो निर्वीय सच मे होते स्वान से भी बद्तर हैं

फिर वैसे रिश्तो का तो खत्म होना बेहतर है।

©shashwat ayush
#कविता #traveltips

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