प्रीत का पर कुतरना न आये हमें हर युग में हम इसके स | हिंदी कविता

"प्रीत का पर कुतरना न आये हमें हर युग में हम इसके समर्थक रहें। प्रेम के पथ पर हम पराजित हुए पर इससे अपनी कोई अनबन नहीं हम मधुकोश जग को लुटाते रहे पर सपने में भी अपने मधुबन नहीं हारे हैं समर हम प्रणय प्रीत के फ़िर भी हम इसके प्रवर्तक रहें प्रीत का पर कुतरना न आये हमें हम युग में हम इसके समर्थक रहें। प्रेम ईश्वरी चेतना का उद्गम हैं, वासना से इसका हैं कोई मेल नही जीवन व मृत्यु के बीच का ये अनुबंध इसे समझें कोई भी खेल नहीं वासना को यहाँ जिसने प्रेम कहाँ वो प्रेम के अनुयायी निर्रथक रग3 हर गए हैं समर हम प्रणय प्रित के फिर भी हम हैं,इसके प्रवर्तक रहें -शाश्वत_आयुष ©shashwat ayush"

 प्रीत का पर कुतरना न आये हमें
हर युग में हम इसके समर्थक रहें।

प्रेम के पथ पर हम पराजित हुए
पर इससे अपनी कोई अनबन नहीं
हम मधुकोश जग को लुटाते रहे
पर सपने में भी अपने मधुबन नहीं

हारे हैं समर हम प्रणय प्रीत के
फ़िर भी हम इसके प्रवर्तक रहें

प्रीत का पर कुतरना न आये हमें
हम युग में हम इसके समर्थक रहें।

प्रेम ईश्वरी चेतना का उद्गम हैं,
वासना से इसका हैं कोई मेल नही
जीवन व मृत्यु के बीच का ये अनुबंध
इसे समझें कोई भी खेल नहीं

वासना को यहाँ जिसने प्रेम कहाँ
वो प्रेम के अनुयायी निर्रथक रग3
हर गए हैं समर हम प्रणय प्रित के
फिर भी हम हैं,इसके प्रवर्तक रहें

-शाश्वत_आयुष

©shashwat ayush

प्रीत का पर कुतरना न आये हमें हर युग में हम इसके समर्थक रहें। प्रेम के पथ पर हम पराजित हुए पर इससे अपनी कोई अनबन नहीं हम मधुकोश जग को लुटाते रहे पर सपने में भी अपने मधुबन नहीं हारे हैं समर हम प्रणय प्रीत के फ़िर भी हम इसके प्रवर्तक रहें प्रीत का पर कुतरना न आये हमें हम युग में हम इसके समर्थक रहें। प्रेम ईश्वरी चेतना का उद्गम हैं, वासना से इसका हैं कोई मेल नही जीवन व मृत्यु के बीच का ये अनुबंध इसे समझें कोई भी खेल नहीं वासना को यहाँ जिसने प्रेम कहाँ वो प्रेम के अनुयायी निर्रथक रग3 हर गए हैं समर हम प्रणय प्रित के फिर भी हम हैं,इसके प्रवर्तक रहें -शाश्वत_आयुष ©shashwat ayush

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