कविता भूल क्या हुआ था कल, तन हो भले द

"कविता भूल क्या हुआ था कल, तन हो भले दुर्बल, मत सोच क्या होगा कल। इरादो को कर सबल। बस आज के साथ चल। अपनो का बन अंचल। रोशनी के साथ चल। रोशनी के साथ चल। माना है नही कुछ सरल, आँसू पी खुशियाँ लुटाता चल पर मेहनत है सबका हल। विपदाओ मे मुस्कराता चल। नित प्रयास करता चल। कीचड़ मे ही खिलते कमल। रोशनी के साथ चल... रोशनी के साथ चल। रोशनी के साथ चल। चार पंक्तिया मेरी अधूरी मोहब्बत ही तो एक मसला नही दर्द और भी बहुत है इस जमाने में बाह बेटे! क्या खूब पैसा कमाया तूने गरीबी आ गयी माँ की दवाई लाने में"

 कविता 
भूल क्या हुआ था कल,             तन हो भले दुर्बल, 
मत सोच क्या होगा कल।           इरादो को कर सबल। 
बस आज के साथ चल।             अपनो का बन अंचल। 
रोशनी के साथ चल।                 रोशनी के साथ चल। 

माना है नही कुछ सरल,        आँसू पी खुशियाँ लुटाता चल
पर मेहनत है सबका हल।      विपदाओ मे मुस्कराता चल। 
नित प्रयास करता चल।         कीचड़ मे ही खिलते कमल। 
रोशनी के साथ चल...            रोशनी के साथ चल। 
रोशनी के साथ चल। 

चार पंक्तिया
मेरी अधूरी मोहब्बत ही तो एक मसला नही
दर्द और भी बहुत है इस जमाने में
बाह बेटे! क्या खूब पैसा कमाया तूने
गरीबी आ गयी माँ की दवाई लाने में

कविता भूल क्या हुआ था कल, तन हो भले दुर्बल, मत सोच क्या होगा कल। इरादो को कर सबल। बस आज के साथ चल। अपनो का बन अंचल। रोशनी के साथ चल। रोशनी के साथ चल। माना है नही कुछ सरल, आँसू पी खुशियाँ लुटाता चल पर मेहनत है सबका हल। विपदाओ मे मुस्कराता चल। नित प्रयास करता चल। कीचड़ मे ही खिलते कमल। रोशनी के साथ चल... रोशनी के साथ चल। रोशनी के साथ चल। चार पंक्तिया मेरी अधूरी मोहब्बत ही तो एक मसला नही दर्द और भी बहुत है इस जमाने में बाह बेटे! क्या खूब पैसा कमाया तूने गरीबी आ गयी माँ की दवाई लाने में

#imagism#nojotocuttack

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