कितनी बेदम है तुम्हारी हाकिमी कहते हैं! लोग | हिंदी Shayari

"कितनी बेदम है तुम्हारी हाकिमी कहते हैं! लोग बातों को तुम्हारी काग़ज़ी कहते हैं! गुनाहों की गली से तो मैं बच आया यारों! पर शराफत को मेरी बुज़दिली कहते हैं! ©अनूप 'समर'"

 कितनी बेदम है तुम्हारी हाकिमी कहते हैं!
       लोग बातों को तुम्हारी काग़ज़ी कहते हैं!

गुनाहों की गली से तो मैं बच आया यारों!
        पर शराफत को मेरी बुज़दिली कहते हैं!

©अनूप 'समर'

कितनी बेदम है तुम्हारी हाकिमी कहते हैं! लोग बातों को तुम्हारी काग़ज़ी कहते हैं! गुनाहों की गली से तो मैं बच आया यारों! पर शराफत को मेरी बुज़दिली कहते हैं! ©अनूप 'समर'

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