साल बदलने से क्या बदलता है मेरे हिसाब से शायद कुछ भी नहीं....!!
लेकिन जब किसी टाइम फ़्रेम में कुछ ऐसी घटनाएं घटी हों जिनकी स्मृतियाँ अभी भी हमारे वर्तमान का नवीन हिस्सा बनी हुई हैं न चाहते हुए भी , तब हम चाहने लगते है कि ये चीजें पुरानी हो जाये किसी न किसी बहाने से इन पर अतीत का ठप्पा लग जाये ताकि हम आगे बढ़ जाएं....!!
इसी आगे बढ़ने के क्रम में आज हम एक रेखा पार कर रहे है और एक टाइम फ्रेम से दूसरे में दाखिल हो रहे है जैसे कोई नाव का यात्री एक नाव छोड़कर दूसरे में चढ़ता है और दुखों का भारी बैग पुरानी नाव पर छोड़कर, कुछ अच्छी यादे स्मृति शेष के रूप में जेब मे रखकर, मन मे कुछ मीठा सा रहस्य लिए होठो पे सौम्य मुस्कान के साथ दूसरी नाव पर दाखिल होता है.
हालांकि कहने से कुछ होना नहीं है फिर भी नववर्ष की हार्दिक एवं अनंत शुभकामनाएँ सभी को... ❤️
©अनूप 'समर'
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