कभी रंगीन तो कभी ज़ाफ़रानी लगती हैं! मेरी कहानी तो बस मेरी कहानी लगती हैं! कौन कहता हैं मोहब्बत चार दिन की है! अज़ी हम से पूछो सारी जवानी लगती.
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