मोहहबात करने का गुनाह किया है मैंने जीते जी हिजाब | हिंदी शायरी
"मोहहबात करने का गुनाह किया है मैंने
जीते जी हिजाब में रहता हूं
और मुझसे मिलते है लोग मज़ाक उड़ाते हैं मेरा
पर मैं ऐसा ही हू
और ऐसा ही मिजाज मे रहता
हूं"
मोहहबात करने का गुनाह किया है मैंने
जीते जी हिजाब में रहता हूं
और मुझसे मिलते है लोग मज़ाक उड़ाते हैं मेरा
पर मैं ऐसा ही हू
और ऐसा ही मिजाज मे रहता
हूं