खुद की नज़र में धूल देख कर ज़िन्दगी पर बात कर, समाज | हिंदी शायरी

"खुद की नज़र में धूल देख कर ज़िन्दगी पर बात कर, समाज के नहीं, खुद के अहम को पोछने पर बात कर। ज़बान मिली है, गनीमत है, महर है रब की, तू फूलों को भूल जा, काटों को छू के बात कर। - ओम"

 खुद की नज़र में धूल देख कर ज़िन्दगी पर बात कर,
समाज के नहीं, खुद के अहम को पोछने  पर बात कर।
ज़बान मिली है, गनीमत है, महर है रब की,
तू फूलों को भूल जा, काटों को छू के बात कर।
- ओम

खुद की नज़र में धूल देख कर ज़िन्दगी पर बात कर, समाज के नहीं, खुद के अहम को पोछने पर बात कर। ज़बान मिली है, गनीमत है, महर है रब की, तू फूलों को भूल जा, काटों को छू के बात कर। - ओम

#धूल #अहम

People who shared love close

More like this

Trending Topic