White सूर्य अस्त होते ही एक चिराग हृदय में जगा लेत | हिंदी कविता

"White सूर्य अस्त होते ही एक चिराग हृदय में जगा लेती हूं बिस्तर पर जाते ही मैं अपने आप से मिल पाती हूँ बहुत से सवाल हैं अनसुलझे और पूछती हूँ और शब्दों के जाल में खुद ही फंस जाती हूँ मन के आईने में जब खुद का अस्तित्व देखती हूँ निराधार सा मैं खुद को पाती हूँ लोगों का वास्तविक अपनत्व तलाश क़रतीं हूँ मग़र हर जगह षणयंत्र का शिकार हो जाती हूँ प्रेम और अपनत्व की तलाश में भटकती रहती हूं आशा की बुझती हुई बाती बार बार जलाती हूँ टूटता हृदय अब किसपे भरोसा करे सोचती रहती हूं झूठे प्रेम,और दिखावे में खुद को घिरा पाती हूँ ©Richa Dhar"

 White सूर्य अस्त होते ही एक चिराग हृदय में जगा लेती हूं 
बिस्तर पर जाते ही मैं अपने आप से मिल पाती हूँ

बहुत से सवाल हैं अनसुलझे और पूछती हूँ
और शब्दों के जाल में खुद ही फंस जाती हूँ

मन के आईने में जब खुद का अस्तित्व देखती हूँ
निराधार सा मैं खुद को पाती हूँ

लोगों का वास्तविक अपनत्व तलाश क़रतीं हूँ
मग़र हर जगह षणयंत्र का शिकार हो जाती हूँ

प्रेम और अपनत्व की तलाश में भटकती रहती हूं
आशा की बुझती हुई बाती बार बार जलाती हूँ

टूटता हृदय अब किसपे भरोसा करे सोचती रहती हूं
झूठे प्रेम,और दिखावे में खुद को घिरा पाती हूँ

©Richa Dhar

White सूर्य अस्त होते ही एक चिराग हृदय में जगा लेती हूं बिस्तर पर जाते ही मैं अपने आप से मिल पाती हूँ बहुत से सवाल हैं अनसुलझे और पूछती हूँ और शब्दों के जाल में खुद ही फंस जाती हूँ मन के आईने में जब खुद का अस्तित्व देखती हूँ निराधार सा मैं खुद को पाती हूँ लोगों का वास्तविक अपनत्व तलाश क़रतीं हूँ मग़र हर जगह षणयंत्र का शिकार हो जाती हूँ प्रेम और अपनत्व की तलाश में भटकती रहती हूं आशा की बुझती हुई बाती बार बार जलाती हूँ टूटता हृदय अब किसपे भरोसा करे सोचती रहती हूं झूठे प्रेम,और दिखावे में खुद को घिरा पाती हूँ ©Richa Dhar

#Sad_shayri प्रेम और अपनत्व

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