Richa Dhar

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I enjoy writing, reading listening to poetry.

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#कविता #MereKhayaal  पानी की कलकल
हृदय आर्द्रता से भरा हुआ
प्रकृति की कोमल छवि
वातावरण पुष्प की गंध से भरा हुआ
चित्त शांत,मन गंभीर
मगर पंछियों के कलरव से सना हुआ
कैसे हो मन विचलित जब प्रकृति की गोद में बैठा रहूं
मन की खिन्नता को छोड़ मैं प्रकृति में ही रमा हुआ.....

©Richa Dhar

#MereKhayaal प्रकृति✍🏻✍🏻✍🏻

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White मैं तुम्हारी स्मृति का सेतु बाँधती चली गयी तुम्हारी दी हुई पीड़ा के रेत में, मैं अश्रुजल मिलाती चली गयी कभी न पूर्ण होने वाली अभिलाषा की तिलांजली देती चली गई शेष बचे अवशेष को जल प्रवाहित क़रती चली गयी ये हवन कुंड सा हृदय मेरा, अग्नि प्रज्जवलित होती चली गयी बाकी बच्ची इक्षाओं को समिधा बना एक एक कर जलाती चली गयी अंतिम आशा और अभिलाषा समाप्त होती चली गयी तुम्हारे प्रेम की आशा,मेरा सम्पूर्ण जीवन कुंठित क़रती चली गयी ©Richa Dhar

#कविता #GoodMorning  White मैं तुम्हारी स्मृति का सेतु बाँधती चली गयी 
तुम्हारी दी हुई पीड़ा के रेत में, मैं अश्रुजल मिलाती चली गयी

कभी न पूर्ण होने वाली अभिलाषा की तिलांजली देती चली गई 
शेष बचे अवशेष को जल प्रवाहित क़रती चली गयी

ये हवन कुंड सा हृदय मेरा, अग्नि प्रज्जवलित होती चली गयी
बाकी बच्ची इक्षाओं को समिधा बना एक एक कर जलाती चली गयी

अंतिम आशा और अभिलाषा समाप्त होती चली गयी 
तुम्हारे प्रेम की आशा,मेरा सम्पूर्ण जीवन कुंठित क़रती चली गयी

©Richa Dhar

#GoodMorning जीवन

15 Love

White मैंने उन्मुक्त प्रेम को बांधना चाहा किनारे तटबंध बनाये,बांध बनाये बहुत समझाया अंतर्मन को परंतु प्रेम तो नीर जैसा था रिस रहा था,न चाह कर भी न रोक सकी अगाध प्रेम को न बांध सकी और प्रवाह ने तोड़ दिये सारे बंधन ये हृदय बांध न सका तुम्हारा प्रेम और नेत्रों में छलक आया न चाह कर भी न छुपा सकी तुम्हारा प्रेम और तुम्हारे प्रेम के प्रवाह में खुद भी बहती चली गयी ..... ©Richa Dhar

#कविता #love_shayari  White 
मैंने उन्मुक्त प्रेम को बांधना चाहा
किनारे तटबंध बनाये,बांध बनाये
बहुत समझाया अंतर्मन को
परंतु प्रेम तो नीर जैसा था
रिस रहा था,न चाह कर भी न रोक सकी
अगाध प्रेम को न बांध सकी
और प्रवाह ने तोड़ दिये सारे बंधन
ये हृदय बांध न सका तुम्हारा प्रेम
और नेत्रों में छलक आया
न चाह कर भी न छुपा सकी तुम्हारा प्रेम
और तुम्हारे प्रेम के प्रवाह में खुद भी बहती चली गयी .....

©Richa Dhar

#love_shayari उन्मुक्त प्रेम

12 Love

White दुखों की परत जम जम के अब पाषाण हो गयी हूँ कैसे भी ढालों,तराशों कोई भी आकृति दे दो मुझे दुखों की छैनी हो,या बातों का हथौड़ा अब कोई भी मार सह लूंगी,कैसा भी बोल दो मुझे लोगों से सुना है के पत्थर पिघलते नहीं टूट जाया करते हैं मगर पत्थरों पर भी नमीं दिखाई दी है मुझे जैसा रूप दोगे मुझे,अब वैसे ही ढल जाऊंगी अब कोई कमी न रहे मुझमें,अपने अनुरूप बना लो मुझे ©Richa Dhar

#कविता #love_shayari  White दुखों की परत जम जम के अब पाषाण हो गयी हूँ
कैसे भी ढालों,तराशों कोई भी आकृति दे दो मुझे

दुखों की छैनी हो,या बातों का हथौड़ा
अब कोई भी मार सह लूंगी,कैसा भी बोल दो मुझे

लोगों से सुना है के पत्थर पिघलते नहीं टूट जाया करते हैं
मगर पत्थरों पर भी नमीं दिखाई दी है मुझे

जैसा रूप दोगे मुझे,अब वैसे ही ढल जाऊंगी
अब कोई कमी न रहे मुझमें,अपने अनुरूप बना लो मुझे

©Richa Dhar

#love_shayari पाषाण

18 Love

White कलयुग की छाप दिखने लगी है अब लोगों के चेहरे से पर्दे गिर रहे हैं अब जो कहते हैं हिंदुओं को हिंसक उनकी औक़ात भी देख रहे हैं सब मणिपुर मुद्दा बहुत गरमाया बांग्लादेश के मसले पर चुप्पी साधे हैं सब बंगाल में बलात्कार हुए,जबरन धर्म परिवर्तन हुए किसी को फ़र्क़ नहीं पड़ा,मौन बैठे हैं सब हिंदूं अगर हिंसक होता ,मासूम अगर न होता तो यूं ही नहीं बरगला पाते सब हिन्दू सबका सम्मान करता हैं,कण कण में प्रभुता देखता हैं अगर हिन्दू हिंसक होता तो कब का मिटा दिया होता सब ©Richa Dhar

#happy_independence_day #कविता  White कलयुग की छाप दिखने लगी है अब
लोगों के चेहरे से पर्दे गिर रहे हैं अब

जो कहते हैं हिंदुओं को हिंसक
उनकी औक़ात भी देख रहे हैं सब

मणिपुर मुद्दा बहुत गरमाया
बांग्लादेश के मसले पर चुप्पी साधे हैं सब

बंगाल में बलात्कार हुए,जबरन धर्म परिवर्तन हुए
किसी को फ़र्क़ नहीं पड़ा,मौन बैठे हैं सब

हिंदूं अगर हिंसक होता ,मासूम अगर न होता 
तो यूं ही नहीं बरगला पाते सब

हिन्दू सबका सम्मान करता हैं,कण कण में प्रभुता देखता हैं
अगर हिन्दू हिंसक होता तो कब का मिटा दिया होता सब

©Richa Dhar

#happy_independence_day जय हिंद

17 Love

इर्द-गिर्द घूमती अपनी इन परछाइयों का क्या करें कैसे इन्हें समझाएं,कैसे इनसे निबाह करें तन्हाइयों में हम तो किसी तरह गुज़र बसर कर लेते हैं कोई आके इन्हें समझाए मेरे लिए ये न परेशान हुआ करें धूप में मेरे साथ जलती है,अँधेरे में गुम मुझमें समां जाती है कोई आ के इन्हें समझाए वो मेरे अंदर न छुपा करे लोगों की भीड़ से मैं खुद को अलग-थलग कर लेती हूं कोई आके समझाए मेरे पास आके वो हास-परिहास न किया करे छोड़ दो मुझे इतना अकेले के मैं मन का गुबार निकाल सकूं मेरी परछाइयों से कह दो के वो मेरे साथ न चला करें। ©Richa Dhar

#कविता #Travel  इर्द-गिर्द घूमती अपनी इन परछाइयों का क्या करें
कैसे इन्हें समझाएं,कैसे इनसे निबाह करें

तन्हाइयों में हम तो किसी तरह गुज़र बसर कर लेते हैं
कोई आके इन्हें समझाए मेरे लिए ये न परेशान हुआ करें

धूप में मेरे साथ जलती है,अँधेरे में गुम मुझमें समां जाती है
कोई आ के इन्हें समझाए वो मेरे अंदर न छुपा करे

लोगों की भीड़ से मैं खुद को अलग-थलग कर लेती हूं
कोई आके समझाए मेरे पास आके वो हास-परिहास न किया करे

छोड़ दो मुझे इतना अकेले के मैं मन का गुबार निकाल सकूं
मेरी परछाइयों से कह दो के वो मेरे साथ न चला करें।

©Richa Dhar

#Travel मेरी परछाईं✍️✍️✍️

10 Love

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