करीब से होकर गुजरती है हवा
तेरा मीठा एहसास कराती है
जब जब तुझे सोच के सोता हूं
क्या कहूं गजब की नींद आती है ।
न जाने क्यों जब जब देखता हूं खुले आसमान की तरफ
ये तेरा चेहरा बनाती है
तकरीबन पहुंच जाता हूं आसमान के अंतिम शिखर तक
जहां ऊंचा उड़ने वाली विमान भी लड़खड़ाती है ।
यह जो तेरे नाक की छोटी सी नथनी है
हृदय संसार पर तलवार चलाती है
मैं कुछ और सोच नहीं सकता जब भी तुझको सोचने लगता हूं
मेरे चिंतन की मोटी रस्सी तेरे खुटे में बंध जाती है ।
गुजरती है हवा ,
मीठा एहसास कराती है ।
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