"रिश्तों में दीवार"
हाल बयां करु तो कैसे करु?
लफ्ज़ नहीं मिलते मुझे रिश्तों को दर्शाने के
बेहाल हो चुका हूं अपने और पराए के किरदार निभाने से
नजर नहीं आता कोई जो बेमतलब का प्यार दे
अब तो हर रिश्ते में साजिश नजर आती है
जब भी जाओ कहीं
हर किसी के चेहरे पर
झूठी मुस्कान उभर आती है
कुछ लोग तो अपने घर
मेहमान देखकर परेशान हो जाते हैं
मानों वो मजबूरी में रिश्ते निभाते हैं
अब कोई कहाँ रिश्ते निभा रहा है
जिसे देखो वो अपने दुख की
कहानी हर किसी को सुना रहा है
अब किसी के पास समय नहीं है
सब व्यस्त अपने में हैं
बेटा बाप से बात नहीं करता है
बेटी माँ के पास एक पल ना ठहरती है
इनकी सारी दुनिया स्मार्टफोन में रहती है
पितृ दिवस और मातृ दिवस पर इनकी फोटो पोस्ट कर देते हैं
आनलाइन प्रणाम करके ये इनसे आशीर्वाद लेते हैं
सभी रिश्तों में खटास आ रही है
हमारी जिंदगी तबाह होती जा रही है
रिश्तों में एक अदृश्य दीवार आ गई है।।
BhaskarSingh
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