BhaskarSingh

BhaskarSingh Lives in Deoria, Uttar Pradesh, India

क़िस्मत में शायद कुछ अच्छा लिखा है, तभी तो जो लोग मुझसे मिलते हैं मुझे वो अच्छे लगने लगते हैं।

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लोग कहते हैं दिल्लगी में हर शख्स खुद को भूल जाता है, दिल के दरिया से शाहील छूट जाता है, कभी अचानक से गर कश्तियाँ प्यार की किनारे पहुँच भी जाए, तो भँवर में फँसकर मोहब्बत का हौसला टूट जाता है, इश्क करना वफ़ा पाना दोनों अलग है, वफ़ा के लिए इश्क में लोग पकड़ा दामन भी छोड़ जाते हैं।।

#dilbechara  लोग कहते हैं दिल्लगी में हर शख्स खुद को भूल जाता है,
दिल के दरिया से शाहील छूट जाता है,
कभी अचानक से गर कश्तियाँ प्यार की किनारे पहुँच भी जाए,
तो भँवर में फँसकर मोहब्बत का हौसला टूट जाता है,
इश्क करना वफ़ा पाना दोनों अलग है,
वफ़ा के लिए इश्क में लोग पकड़ा दामन भी छोड़ जाते हैं।।

#dilbechara

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"मोहब्बत का चाँद" खत्म हुआ रोजा और अदा हुई रोज़े की सारी नमाज, जिसका इंतजार था महिने भर से वो दिन आ गया है आज, हम सब मिल-जुल कर ईद मनाएँगे, इस बार की ईद को नया रुप देना होगा, मुसलमानो को अब नेक दिल होना होगा, माना हमारी कौम बदनाम हैं, अपने जिद और जिहाद के लिए दुनिया भर के लिए गुनहगार है, कुछ लोग जो हमारे भाईयों को भटकातें हैं, इस्लाम का ग़लत मतलब उन्हें सिखाते हैं, मासूमों को जन्नत का सपना दिखाते हैं, इनके हाथों अपने ही हिन्दू भाइयों का कत्ल करवाते हैं, इस बार की ईद को हम सभी एक कसम खायेंगे, लाख कोई बरगलाए हम ग़लत को ग़लत ही बताएँगे, अपने हिन्दू भाइयों को हरगिज ना सताएँगे, यह देश हम सबका है पुरी दुनिया को बताएँगे, इस बार के ईद का चाँद नई रोशनी लाएगा, हम सभी को मोहब्बत का नया सवेरा दिखायेगा।।

#चांद #eidmubarak #ईद  "मोहब्बत का चाँद"


खत्म हुआ रोजा और अदा हुई रोज़े की सारी नमाज,
जिसका इंतजार था महिने भर से वो दिन आ गया है आज,
हम सब मिल-जुल कर ईद मनाएँगे,
इस बार की ईद को नया रुप देना होगा,
मुसलमानो को अब नेक दिल होना होगा,
माना हमारी कौम बदनाम हैं,
अपने जिद और जिहाद के लिए दुनिया भर के लिए गुनहगार है,
कुछ लोग जो हमारे भाईयों को भटकातें हैं,
इस्लाम का ग़लत मतलब उन्हें सिखाते हैं,
मासूमों को जन्नत का सपना दिखाते हैं,
इनके हाथों अपने ही हिन्दू भाइयों का कत्ल करवाते हैं,
इस बार की ईद को हम सभी एक कसम खायेंगे,
लाख कोई बरगलाए हम ग़लत को ग़लत ही बताएँगे,
अपने हिन्दू भाइयों को हरगिज ना सताएँगे,
यह देश हम सबका है पुरी दुनिया को बताएँगे,
इस बार के ईद का चाँद नई रोशनी लाएगा,
हम सभी को मोहब्बत का नया सवेरा दिखायेगा।।

"मदहोशी" तन्हाई और अकेलेपन में दिल बैठ सा गया था घर में बैठे बैठे मैं पागल हो रहा था लेकिन पता नहीं क्यूँ आज मन में एक अलग खुशी हो रही है यह खुशी तुमसे बात करके या फिर तुमको देखकर आई है इतने दिनों से मैं तुमसे दूर था वक्त और हालात के आगे मजबूर था आज अचानक से तुम घर आ गई मेरी तन्हाई और अकेलेपन को एक पल में उड़ा गई जब तुम माँ के पास बैठकर मुझे मुँह चिढ़ा रही थी मुझे तुम पगली और नासमझ नजर आ रही थी और जब माँ ने बोला मैं चाय बनाने जा रही हूँ तो तुम बोली की रुकिए माँ मैं चाय बनाकर ला रही हूँ यह अपनापन तुमने जताकर मुझे अपने और करीब ला दिया मेरी आँखों में तुम्हें पाने का एक सपना सजा दिया तुम्हारी चाय पीकर तुम्हारी दूरी का एहसास चाय की मिठास में खो गई जैसे जैसे शाम हो रही थी तुम घर जाने को तैयार हो रही थी मुझे अच्छा नहीं लग रहा था तुमसे दूरी का अहसास दिल दुखा रहा था लेकिन मैं कर भी क्या सकता था माँ ने तुमको जब घर छोड़ने को बोल दिया मानों मुझे एक तोहफा अनमोल दे दिया तुम जब बाइक से उतरकर घर जा रही थी तुमसे दूरी मेरी धड़कनें बढ़ा रही थी लेकिन ना जाने क्यूँ तुम लौटकर मेरे पास आई बिना कुछ कहे मुझे गले लगाई यह तुम्हारा आगोश मेरी आँखों को भिगो गया मेरा दिल तुम्हारे आगोश की मदहोशी में खो गया।। BhaskarSingh

#मदहोशी #मदहोश #Beauty  "मदहोशी"


तन्हाई और अकेलेपन में दिल बैठ सा गया था
घर में बैठे बैठे मैं पागल हो रहा था
लेकिन पता नहीं क्यूँ आज मन में एक अलग खुशी हो रही है
यह खुशी तुमसे बात करके या फिर तुमको देखकर आई है
इतने दिनों से मैं तुमसे दूर था
वक्त और हालात के आगे मजबूर था
आज अचानक से तुम घर आ गई
मेरी तन्हाई और अकेलेपन को एक पल में उड़ा गई
जब तुम माँ के पास बैठकर मुझे मुँह चिढ़ा रही थी
मुझे तुम पगली और नासमझ नजर आ रही थी
और जब माँ ने बोला मैं चाय बनाने जा रही हूँ
तो तुम बोली की रुकिए माँ मैं चाय बनाकर ला रही हूँ
यह अपनापन तुमने जताकर मुझे अपने और करीब ला दिया
मेरी आँखों में तुम्हें पाने का एक सपना सजा दिया
तुम्हारी चाय पीकर तुम्हारी दूरी का एहसास चाय की मिठास में खो गई
जैसे जैसे शाम हो रही थी
तुम घर जाने को तैयार हो रही थी
मुझे अच्छा नहीं लग रहा था
तुमसे दूरी का अहसास दिल दुखा रहा था
लेकिन मैं कर भी क्या सकता था
माँ ने तुमको जब घर छोड़ने को बोल दिया
मानों मुझे एक तोहफा अनमोल दे दिया
तुम जब बाइक से उतरकर घर जा रही थी
तुमसे दूरी मेरी धड़कनें बढ़ा रही थी
लेकिन ना जाने क्यूँ तुम लौटकर मेरे पास आई
बिना कुछ कहे मुझे गले लगाई
यह तुम्हारा आगोश मेरी आँखों को भिगो गया
मेरा दिल तुम्हारे आगोश की मदहोशी में खो गया।।
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"रिश्तों में दीवार" हाल बयां करु तो कैसे करु? लफ्ज़ नहीं मिलते मुझे रिश्तों को दर्शाने के बेहाल हो चुका हूं अपने और पराए के किरदार निभाने से नजर नहीं आता कोई जो बेमतलब का प्यार दे अब तो हर रिश्ते में साजिश नजर आती है जब भी जाओ कहीं हर किसी के चेहरे पर झूठी मुस्कान उभर आती है कुछ लोग तो अपने घर मेहमान देखकर परेशान हो जाते हैं मानों वो मजबूरी में रिश्ते निभाते हैं अब कोई कहाँ रिश्ते निभा रहा है जिसे देखो वो अपने दुख की कहानी हर किसी को सुना रहा है अब किसी के पास समय नहीं है सब व्यस्त अपने में हैं बेटा बाप से बात नहीं करता है बेटी माँ के पास एक पल ना ठहरती है इनकी सारी दुनिया स्मार्टफोन में रहती है पितृ दिवस और मातृ दिवस पर इनकी फोटो पोस्ट कर देते हैं आनलाइन प्रणाम करके ये इनसे आशीर्वाद लेते हैं सभी रिश्तों में खटास आ रही है हमारी जिंदगी तबाह होती जा रही है रिश्तों में एक अदृश्य दीवार आ गई है।। BhaskarSingh

#RISHTen #Rishta #Art  "रिश्तों में दीवार"


हाल बयां करु तो कैसे करु?
लफ्ज़ नहीं मिलते मुझे रिश्तों को दर्शाने के
बेहाल हो चुका हूं अपने और पराए के किरदार निभाने से
नजर नहीं आता कोई जो बेमतलब का प्यार दे
अब तो हर रिश्ते में साजिश नजर आती है
जब भी जाओ कहीं
हर किसी के चेहरे पर 
झूठी मुस्कान उभर आती है
कुछ लोग तो अपने घर 
मेहमान देखकर परेशान हो जाते हैं
मानों वो मजबूरी में रिश्ते निभाते हैं
अब कोई कहाँ रिश्ते निभा रहा है
जिसे देखो वो अपने दुख की 
कहानी हर किसी को सुना रहा है
अब किसी के पास समय नहीं है
सब व्यस्त अपने में हैं
बेटा बाप से बात नहीं करता है
बेटी माँ के पास एक पल ना ठहरती है
इनकी सारी दुनिया स्मार्टफोन में रहती है
पितृ दिवस और मातृ दिवस पर इनकी फोटो पोस्ट कर देते हैं
आनलाइन प्रणाम करके ये इनसे आशीर्वाद लेते हैं
सभी रिश्तों में खटास आ रही है
हमारी जिंदगी तबाह होती जा रही है
रिश्तों में एक अदृश्य दीवार आ गई है।।

BhaskarSingh

"वो तेरा शर्माना" उल्फत,शरारत,नजाकत यह सभी तो तुम्हारे गहनें हैं, तुम मुस्कुराती हो ऐसे जैसे धरती पर बिखरी सूरज की किरणें हैं, अदाएं हम क्या बताएं जो भी देखे तुम्हारी अदाओं को तुम्हारा होकर रह जाए, जब तुम जुल्फ़ें झटकती हो मानों बादलों में मेघ भर आए, आँखों से नशा छलकता है इनके सामने मधुशाला भी कम पड़ जाए, शब्दो में मैं अब तुम्हें ना भर पाऊँगा, तुम्हारे अदाओं में फँसता चला जाऊँगा, बस एक बात है जो मुझे भूलती नहीं है, तुम्हारी वो तस्वीर मेरे सामने घुमती रहती है, जब आती थी तुम मुझसे मिलने, बस मैं बोलता था, और तुम चुनरी के कोने में ऊँगली उलझा कर होठों को दाँतो से दबाती थी, और हल्के सा मुस्कुरा कर बहुत शर्माती थी, कुछ कहना चाहती थी, लेकिन कह नहीं पाती थी, काश समय फिर पिछे चला जाता, और मैं तुम्हें फिर उसी उल्फत,शरारत,नजाकत में देख पाता।। BhaskarSingh

#शर्माना #इश्क #Hope  "वो तेरा शर्माना"

उल्फत,शरारत,नजाकत यह सभी तो तुम्हारे गहनें हैं,
तुम मुस्कुराती हो ऐसे जैसे
धरती पर बिखरी सूरज की किरणें हैं,
अदाएं हम क्या बताएं
जो भी देखे तुम्हारी अदाओं को
तुम्हारा होकर रह जाए,
जब तुम जुल्फ़ें झटकती हो
मानों बादलों में मेघ भर आए,
आँखों से नशा छलकता है
इनके सामने मधुशाला भी कम पड़ जाए,
शब्दो में मैं अब तुम्हें ना भर पाऊँगा,
तुम्हारे अदाओं में फँसता चला जाऊँगा,
बस एक बात है जो मुझे भूलती नहीं है,
तुम्हारी वो तस्वीर मेरे सामने घुमती रहती है,
जब आती थी तुम मुझसे मिलने,
बस मैं बोलता था,
और तुम चुनरी के कोने में ऊँगली उलझा कर
होठों को दाँतो से दबाती थी,
और हल्के सा मुस्कुरा कर बहुत शर्माती थी,
कुछ कहना चाहती थी,
लेकिन कह नहीं पाती थी,
काश समय फिर पिछे चला जाता,
और मैं तुम्हें फिर उसी 
उल्फत,शरारत,नजाकत में देख पाता।।

BhaskarSingh

"ख्वाब या हकीकत" मैंने देखा सब लोग खुशियाँ मना रहे थे, एक दुसरे को गले लगा रहे थे, जब कोई परेशानी में होता तो उसे उससे इजात दिला रहे थे, सब पेड़ लगा रहे थे, पशुओं को बचा रहे थे, मुश्किल की घड़ी में भी मुस्कुरा रहे थे, खुद खाते और भूखों को भी खिला रहे थे, मेरे भारत में मानो सब रोज त्यौहार मना रहे थे, लेकिन जब आँखें खुली मैं जाग गया, अपने आस पास के लोगों को पहले सा ही देखकर घबरा गया, सोचता हूँ काश वो सपने सच हो जाते, मेरे सारे ख्वाब हकीकत बन जाते।। BhaskarSingh

#Dream  "ख्वाब या हकीकत"

मैंने देखा सब लोग खुशियाँ मना रहे थे,
एक दुसरे को गले लगा रहे थे,
जब कोई परेशानी में होता तो उसे उससे इजात दिला रहे थे,
सब पेड़ लगा रहे थे,
पशुओं को बचा रहे थे,
मुश्किल की घड़ी में भी मुस्कुरा रहे थे,
खुद खाते और भूखों को भी खिला रहे थे,
मेरे भारत में मानो सब रोज त्यौहार मना रहे थे,
लेकिन जब आँखें खुली मैं जाग गया,
अपने आस पास के लोगों को पहले सा ही देखकर घबरा गया,
सोचता हूँ काश वो सपने सच हो जाते,
मेरे सारे ख्वाब हकीकत बन जाते।।

BhaskarSingh

#Dream #Dream😍

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