क़ब्र-ए-अंधेरी में ना ही तेरे हमराह कोई जन होगा ह

"क़ब्र-ए-अंधेरी में ना ही तेरे हमराह कोई जन होगा होगा भी तो फ़क़त तू और ये तेरा कफ़न होगा जिस दुनियावी इल्म व दौलत पे ग़ुरूर है तुझको ये वहाँ तेरे किसी काम न आयेंगे क्योंकि वहाँ पर फ़क़त इल्म-ए-दीन और तेरे आमाल का सुख़न होगा मो. इक्साद अंसारी"

 क़ब्र-ए-अंधेरी में ना ही तेरे हमराह कोई जन होगा 
होगा भी तो फ़क़त तू और ये तेरा कफ़न होगा
जिस दुनियावी इल्म व दौलत पे ग़ुरूर है तुझको ये वहाँ तेरे किसी काम न आयेंगे
क्योंकि वहाँ पर फ़क़त इल्म-ए-दीन और तेरे आमाल का सुख़न होगा
मो. इक्साद अंसारी

क़ब्र-ए-अंधेरी में ना ही तेरे हमराह कोई जन होगा होगा भी तो फ़क़त तू और ये तेरा कफ़न होगा जिस दुनियावी इल्म व दौलत पे ग़ुरूर है तुझको ये वहाँ तेरे किसी काम न आयेंगे क्योंकि वहाँ पर फ़क़त इल्म-ए-दीन और तेरे आमाल का सुख़न होगा मो. इक्साद अंसारी

MD Iksad Ansari

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