।।अंतिम यात्रा।।
नवजात शिशु से हुआ प्रौढ़ वह,जिसने रची स्वयं की यात्रा।
मृत्यु शैय्या करती प्रतीक्षा,तय करने को अंतिम यात्रा।।
छोड़ गया वह घर–बार चौबारे,
बेसुध है पत्नी और घर बारे।।
बेटी का विलाप देखा न जाए ,
मौन बैठा बेटा सिर मुंडवाए।
जिनके हाथों ने लिखनी थी ,
बच्चों की जीवन परिपात्रता ।
आज उसी दाता को मिलती ,
कंधों की पद –चल यात्रा।।
परिजन करते शोक–विलाप,करें पड़ोसी वार्ता।
राम नाम के साथ चलती, जीवन की अंतिम यात्रा।।
©susheel sk
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