काश कि कोई पैमाना होता हक़ीक़त का। दिल निचोड़कर रख दे | हिंदी Poetry

"काश कि कोई पैमाना होता हक़ीक़त का। दिल निचोड़कर रख देते उसमें हम अपना, आप खुद ही तय कर लेते कितनी कूव्वत है हममें ग़म सहने की।"

 काश कि कोई पैमाना होता हक़ीक़त का।
दिल निचोड़कर रख देते उसमें हम अपना,
आप खुद ही तय कर लेते कितनी कूव्वत है हममें ग़म सहने की।

काश कि कोई पैमाना होता हक़ीक़त का। दिल निचोड़कर रख देते उसमें हम अपना, आप खुद ही तय कर लेते कितनी कूव्वत है हममें ग़म सहने की।

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