वो गुजरे वक़्त की परछाइयां दिल को रुलाती है
जब बाहों में तेरी गुजरी वो शामें याद आती है
न चाहत थी तो कह देते यूँ खेला क्यों मेरे दिल से
न जाने कौन सा बदला लिया तुमने मेरे दिल से
चले आओ सनम अब भी मेरी धड़कन बुलाती है
जब बाहों में तेरी गुजरी वो शामें याद आती है
तेरा दीदार होगा एक दिन दिल मे तमन्ना है
तुझे अम्बर बनाकर तेरे साये में ही जीना है
अगन यादों की मुझको अब भी रात और दिन जलाती है
जब बाहों में तेरी गुजरी वो शामें याद आती है
ख़ुदा का वास्ता तुझको लौट आओ मेरे हमदम
करो वादा यही की साथ दोगे तुम मेरा हरदम
मेरा ये ख्वाब टूटा सोच आँखे भर ही जाती है
जब बाहों में तेरी गुजरी वो शामें याद आती है
फलक तक साथ होगा मेरा तेरा वादा तोड़ा है
जहाँ मुझको जरूरत थी वही मेरा हाथ छोड़ा है
यही वो गम है शम्मे-ए-जिंदगी को जो बुझाती है
जब बाहों में तेरी गुजरी वो शामें याद आती है
मेरी कलम से मेरे जज्बात
shanu शर्मा
@Dilip Hindustani narration @Opendra mahi komal sindhe @team n71 Mayank Raghuwanshi