मेरी सुबह को चुरा कर तुम्हारी रात हुई है ज़माना इसमें आग और कहां पानी की बरसात हुई है
मेरी छोटी सी मुस्कान सहने की क्षमता न हुई और तुमने दर्द को सहने की बात की है ज़माना इसमें आग और कहां पानी की बरसात हुई है
मुझे नीचे गिराने की हर एक कोशिश में तुम दिल में चुभ जाए ऐसी तीर निशान की है ज़माना इसमें आग और कहां पानी की बरसात हुई है
स्याही चलाओ चाहे कितनी भी मगर दिल की स्याही तो खून की है जमाना इसमें आग और कहां पानी की बरसात हुई है
_अंजली
#alone