स्पर्श चाहे जिस भी प्राणी का हो अगर मन को स्पर्श | हिंदी विचार

"स्पर्श चाहे जिस भी प्राणी का हो अगर मन को स्पर्श कर ले तो मनुष्य परत दर परत खुलता जाता है ©vidushi MISHRA"

 स्पर्श चाहे जिस भी प्राणी 
का हो 
अगर मन को स्पर्श कर ले
 तो 
मनुष्य परत दर परत 
खुलता जाता
 है

©vidushi MISHRA

स्पर्श चाहे जिस भी प्राणी का हो अगर मन को स्पर्श कर ले तो मनुष्य परत दर परत खुलता जाता है ©vidushi MISHRA

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