White सपनों की उड़ान-हिंदी कहानी (भाग 47) में आपका स्वागत है!
सुबह आंख खुलती है, ड्यूटी के लिए लेट हो रहा था! बगैर चाय नाश्ता के ही, ड्यूटी पर निकल जाता है!
कंपनी में जान पहचान होने के कारण खाना मिल जाता है!शाम को ड्यूटी खत्म होते ही ,वो सीधे अपने क्वार्टर पर पहुंचता है, जैसे ही खाना बनाने का सोचता है, तैसे उसका हाथ जवाब दे देता है! शायद उसके हाथो को वेगैर खाना बनाये खाने का लत् लग चुका था , और वह सोचते ही सोचते सो जाता है!
शिखा अपने बापू से बोलती है ,बापू नंदू का तबीयत ठीक नहीं लग रहा था! मालूम नहीं खाना खाया होगा या नहीं , एक बार जाकर देख लेते!
कर्मचारी--ठीक है!
©writer Ramu kumar
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