अपने में रम जाना अच्छा है. कुछ कहने से अगर बिगड़त

"अपने में रम जाना अच्छा है. कुछ कहने से अगर बिगड़ते हों रिश्ते तो कुछ न कहना अच्छा है। कुछ कहने से अगर बिगड़ती हों दूरियां तो कुछ न कहना अच्छा है। तो फिर अपने में रम जाना अच्छा है.. कुछ कहने से अगर बिगड़ती हों नफरतें तो कुछ न कहना अच्छा है। कुछ कहने से बिगड़ती हों गफलतें तो कुछ न कहना अच्छा है। तो फिर अपने में रम जाना अच्छा है.. कुछ कहने से अगर बिगड़ती हों कषाय तो कुछ न कहना अच्छा है। कुछ कहने से अगर बिगड़ते हों अरमान तो कुछ न कहना अच्छा है। तो फिर अपने में रम जाना अच्छा है.. कुछ कहने से अगर बिगड़ते हों भाव तो कुछ न कहना अच्छा है। कुछ कहने से अगर बिगड़ते हों ख्याल तो कुछ न कहना अच्छा है। तो फिर अपने में रम जाना अच्छा है.. कुछ कहने से अगर बिगड़ते हों संस्कार तो कुछ न कहना अच्छा है। कुछ कहने से बिगड़ती हों बातें तो कुछ न कहना अच्छा है। तो फिर अपने में रम जाना अच्छा है.. कुछ कहने से अगर बिगड़ते हों हालात तो कुछ न कहना अच्छा है। कुछ कहने से बिगड़ते हों मिजाज तो कुछ न कहना अच्छा है। तो फिर अपने में रम जाना अच्छा है.. तो फिर आतमपन पाना अच्छा है.. ध्रुवार्थी तन्मय"

 अपने में रम जाना अच्छा है. 
कुछ कहने से अगर बिगड़ते हों रिश्ते तो कुछ न कहना अच्छा है।
कुछ कहने से अगर बिगड़ती हों दूरियां तो कुछ न कहना अच्छा है।
तो फिर अपने में रम जाना अच्छा है..
कुछ कहने से अगर बिगड़ती हों नफरतें तो कुछ न कहना अच्छा है।
कुछ कहने से बिगड़ती हों गफलतें तो कुछ न कहना अच्छा है।
तो फिर अपने में रम जाना अच्छा है..
कुछ कहने से अगर बिगड़ती हों कषाय तो कुछ न कहना अच्छा है।
कुछ कहने से अगर बिगड़ते हों अरमान तो कुछ न कहना अच्छा है।
तो फिर अपने में रम जाना अच्छा है..
कुछ कहने से अगर बिगड़ते हों भाव तो कुछ न कहना अच्छा है।
कुछ कहने से अगर बिगड़ते हों ख्याल तो कुछ न कहना अच्छा है।
तो फिर अपने में रम जाना अच्छा है..
कुछ कहने से अगर बिगड़ते हों संस्कार तो कुछ न कहना अच्छा है।
कुछ कहने से बिगड़ती हों बातें तो कुछ न कहना अच्छा है।
तो फिर अपने में रम जाना अच्छा है..
कुछ कहने से अगर बिगड़ते हों हालात तो कुछ न कहना अच्छा है।
कुछ कहने से बिगड़ते हों मिजाज तो कुछ न कहना अच्छा है।
तो फिर अपने में रम जाना अच्छा है..
 तो फिर आतमपन पाना अच्छा है..

ध्रुवार्थी तन्मय

अपने में रम जाना अच्छा है. कुछ कहने से अगर बिगड़ते हों रिश्ते तो कुछ न कहना अच्छा है। कुछ कहने से अगर बिगड़ती हों दूरियां तो कुछ न कहना अच्छा है। तो फिर अपने में रम जाना अच्छा है.. कुछ कहने से अगर बिगड़ती हों नफरतें तो कुछ न कहना अच्छा है। कुछ कहने से बिगड़ती हों गफलतें तो कुछ न कहना अच्छा है। तो फिर अपने में रम जाना अच्छा है.. कुछ कहने से अगर बिगड़ती हों कषाय तो कुछ न कहना अच्छा है। कुछ कहने से अगर बिगड़ते हों अरमान तो कुछ न कहना अच्छा है। तो फिर अपने में रम जाना अच्छा है.. कुछ कहने से अगर बिगड़ते हों भाव तो कुछ न कहना अच्छा है। कुछ कहने से अगर बिगड़ते हों ख्याल तो कुछ न कहना अच्छा है। तो फिर अपने में रम जाना अच्छा है.. कुछ कहने से अगर बिगड़ते हों संस्कार तो कुछ न कहना अच्छा है। कुछ कहने से बिगड़ती हों बातें तो कुछ न कहना अच्छा है। तो फिर अपने में रम जाना अच्छा है.. कुछ कहने से अगर बिगड़ते हों हालात तो कुछ न कहना अच्छा है। कुछ कहने से बिगड़ते हों मिजाज तो कुछ न कहना अच्छा है। तो फिर अपने में रम जाना अच्छा है.. तो फिर आतमपन पाना अच्छा है.. ध्रुवार्थी तन्मय

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