पढ़कर लिखना, लिखकर पढ़ना।
कपोल-कल्पना में न उलझना।।
पढ़ लिखकर बनोगे महान
इस भ्रम से तुम दूर ही रहना
अच्छे बनोगे तुम इंसान।
तभी कहलाओगे महान।
करोगे तुम सबका सम्मान।
सबके दिल में तुम्हारा नाम।
समझ समझकर समझ से पढ़ना।
पढ़कर समझ से समझ को पढ़ना।।
-तन्मय
#lockdown3 हां क्या लिखूँ? क्या लिखूँ??
कहने को कुछ है, मगर सबकुछ नहीं।
सहने को सहजता है , मगर शक्ति नहीं।
आसमां में गर्जना है, छलकती बारिश नहीं।
सूरज की ज्योत है, मगर किरण नहीं।
कहीं खाने में व्यंजन अनेक प्रकार ।
मगर देखने को सूखी रोटी नहीं ।
कूलर की हवा है,मगर देखने को कूलर नहीं ।
15 Love
अपने में रम जाना अच्छा है.
कुछ कहने से अगर बिगड़ते हों रिश्ते तो कुछ न कहना अच्छा है।
कुछ कहने से अगर बिगड़ती हों दूरियां तो कुछ न कहना अच्छा है।
तो फिर अपने में रम जाना अच्छा है..
कुछ कहने से अगर बिगड़ती हों नफरतें तो कुछ न कहना अच्छा है।
कुछ कहने से बिगड़ती हों गफलतें तो कुछ न कहना अच्छा है।
तो फिर अपने में रम जाना अच्छा है..
कुछ कहने से अगर बिगड़ती हों कषाय तो कुछ न कहना अच्छा है।
कुछ कहने से अगर बिगड़ते हों अरमान तो कुछ न कहना अच्छा है।
तो फिर अपने में रम जाना अच्छा है..
कुछ कहने से अगर बिगड़ते हों भाव तो कुछ न कहना अच्छा है।
कुछ कहने से अगर बिगड़ते हों ख्याल तो कुछ न कहना अच्छा है।
तो फिर अपने में रम जाना अच्छा है..
कुछ कहने से अगर बिगड़ते हों संस्कार तो कुछ न कहना अच्छा है।
कुछ कहने से बिगड़ती हों बातें तो कुछ न कहना अच्छा है।
तो फिर अपने में रम जाना अच्छा है..
कुछ कहने से अगर बिगड़ते हों हालात तो कुछ न कहना अच्छा है।
कुछ कहने से बिगड़ते हों मिजाज तो कुछ न कहना अच्छा है।
तो फिर अपने में रम जाना अच्छा है..
तो फिर आतमपन पाना अच्छा है..
ध्रुवार्थी तन्मय
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