आतंकित थे लोग सभी अंग्रेजों वाले बंधन से धरती बेहद | हिंदी कविता

"आतंकित थे लोग सभी अंग्रेजों वाले बंधन से धरती बेहद विचलित थी चीख पुकार और कृन्दन से उठे वीर तब लाज बचाने भारत माँ के आँचल की आज़ादी की आग जलाई अपने खूँ के ईंधन से मतवालों परवानों के आगे चली नही अंग्रेज़ो की बेबस दिखते थे जैसे जकड़ गया विषधर गर्दन से छटा अंधेरा खुशबू फैली थी कली कली मुस्काई रोम रोम तब सिहर उठा भारत माता के वंदन से भारत माता की जय ।। ©Piyush Shukla"

 आतंकित थे लोग सभी अंग्रेजों वाले बंधन से
धरती बेहद विचलित थी चीख पुकार और कृन्दन से

उठे वीर तब लाज बचाने भारत माँ के आँचल की
आज़ादी की आग जलाई अपने खूँ के ईंधन से

मतवालों परवानों के आगे चली नही अंग्रेज़ो की
बेबस दिखते थे जैसे जकड़ गया विषधर गर्दन से

छटा अंधेरा खुशबू फैली थी कली कली मुस्काई
रोम रोम तब सिहर उठा भारत माता के वंदन से

भारत माता की जय ।।

©Piyush Shukla

आतंकित थे लोग सभी अंग्रेजों वाले बंधन से धरती बेहद विचलित थी चीख पुकार और कृन्दन से उठे वीर तब लाज बचाने भारत माँ के आँचल की आज़ादी की आग जलाई अपने खूँ के ईंधन से मतवालों परवानों के आगे चली नही अंग्रेज़ो की बेबस दिखते थे जैसे जकड़ गया विषधर गर्दन से छटा अंधेरा खुशबू फैली थी कली कली मुस्काई रोम रोम तब सिहर उठा भारत माता के वंदन से भारत माता की जय ।। ©Piyush Shukla

स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं 🇮🇳🇮🇳🇮🇳

आतंकित थे लोग सभी अंग्रेजों वाले बंधन से
धरती बेहद विचलित थी चीख पुकार और कृन्दन से

उठे वीर तब लाज बचाने भारत माँ के आँचल की
आज़ादी की आग जलाई अपने खूँ के ईंधन से

People who shared love close

More like this

Trending Topic