यही एक बात सोचते सोचते रात हो गई है,
कि जल रहा होगा वो जंगल या बरसात हो गई हैं।
में हथेली में पानी ले कर जाता तो भी क्या करता
जो बची थीं राख वो भी खाख हो गई है
और सुना है नदियां कई आई आग बुझाने को
उसका मन बहलाने को, हसाने को,बहकाने को
मगर वो समय सुबह का था अब रात हो गई हैं।
अब धुआं उठ रहा है कोरे जंगल में, उसी ने लगाई थी आग
अब पूछता है बताओ क्या कोई बात हो गई हैं।
:-Rkgurjar
©Rk gurjar
#Darknight सुुमन कवयित्री @Meghna kapoor @zarri farha